मध्य प्रदेश के ढाई लाख अध्यापकों की 22 वर्षों की सेवा हुई शून्य: कर्मचारी संघ- MP NEWS

Bhopal Samachar
जबलपुर
। मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ शिक्षक अध्यापक प्रकोष्ठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश के लगभग ढाई लाख अध्यापकों को राज्य शिक्षा सेवा कैडर की विसंगतिपूर्ण सेवा शर्तों का खामयाजा भुगतना पढ रहा है। उनकी 22 वर्ष की सेवा शून्य हो गई।

माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जुलाई 2018 से अध्यापक संवर्ग के लोक सेवकों को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किये जाने की घोषणा की गई थी। जिसके तहत अध्यापक संवर्ग का संविलियन कर समान पदनाम व वेतन दिया जाना था, परन्तु शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों द्वारा गुमराह कर अध्यापक संवर्ग के संविलियन को जुलाई 2018 से शिक्षा विभाग के स्थान पर एक नया कैडर" राज्य शिक्षा सेवा में नवीन नियुक्ति प्रदान कर दी गई जिससे प्रदेश के लगभग ढाई लाख अध्यापकों को करीब 22 वर्षों की सेवा शुन्य हो गई है साथ ही इन्हें उनकी पुरानी वरिष्ठता, पदोन्नति, कमोन्नति, ग्रेच्युटी परिवार पेंशन इत्यादि लाभा से भी वंचित कर दिया गया है, जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार नियमित शिक्षकों के समान सभी शासकीय सेवा शर्तों के लाभ प्रदान किये जाने थे। 

राज्य शिक्षा सेवा की विसंगतिपूर्ण सेवा शर्तों के कारण अध्यापक संवर्ग को शिक्षा विभाग में नियुक्ति के नाम पर प्रथम नियुक्ति दिनांक से संविलियन करते हुए वरिष्ठता एवं अन्य लाभ से वंचित रखा गया है आई.एफ.एम.आई. एस . पोर्टल पर भी प्रथम नियुक्ति दिनांक 01 जुलाई 2018 बताई जा रही है। 

संघ के योगन्द्र दुबे , मुकेश सिंह , योगेन्द्र मिश्रा , अजय सिंह ठाकुर , आलोक अग्निहोत्री मनीष चौबे , नितिन अग्रवाल श्यामनारायण तिवार प्रणव साहू , राकेश दुबे , मनोज सेन मो.तारिक धीरेन्द्र सोनी मनीष लोहिया राकेश पाण्डेय मनीष शुक्ला , शुभ संदेश सिंह गौर , गणेश उपाध्याय महेश कोरी सुदेश पाण्डेय विनय नामदेव  देवदत्त शुक्ला सोनल दुबे , विजय कोष्टी  अब्दुल्ला चिस्ती  पवन ताम्रकार , संजय श्रीवास्तव आदित्य दीक्षित संतोष कावेरिया , जय प्रकाश गुप्ता , आनंद रैकवार , अभिषेक मिश्रा , संतोष तिवारी आदि ने माननीय मुख्यमंत्री जी से मॉग की है कि उनकी मंशा अनुसार अध्यापक संवर्ग के लोक सेवकों को शिक्षा विभाग में उनके प्रथम नियुक्ति दिनांक से राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति मान्य की जाकर अन्य सभी लाभ नियमिति शिक्षकों के समान प्रदान किये जाने के आदेश शिक्षक दिवस में प्रदान किये जावे तो शिक्षकों के लिये यही असली तोहफा हाेगा।

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