मध्यप्रदेश में एक तरफ संविदा कर्मचारी, अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वान समान काम समान वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ आउटसोर्स कर्मचारियों की सैलरी परमानेंट कर्मचारियों से 52% तक ज्यादा है। सब कुछ इतने सिस्टम से किया गया है कि आप इसे घोटाला नहीं कह पाएंगे लेकिन आपको फील होगा कि घोटाला हो गया।
मध्य प्रदेश शासन के लिए कर्मचारियों की भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाले प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल में तकनीकी कर्मचारी, क्लर्क और ड्राइवर के पदों पर सेडमैप के माध्यम से आउटसोर्स कर्मचारियों को नियुक्त किया गया। जिसके बदले में 9.35 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
कर्मचारियों के निर्धारित वेतन के अलावा सेडमैप ने एमपीपीईबी से टैक्स और सेवा शुल्क के नाम पर टोटल 41% वसूल किया। मोटे तौर पर कहे तो एक स्थाई सरकारी क्लर्क और चपरासी को जितना वेतन मिलता है, एमपीपीईबी ने सेडमैप के माध्यम से इसी पद पर आउटसोर्स कर्मचारी के नाम पर 51% ज्यादा भुगतान किया।
यह नोट करने वाली बात यह है कि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल परीक्षा आयोजित नहीं करवाता। केवल टाइम टेबल और रिजल्ट घोषित करता है। परीक्षा आयोजित कराने के लिए यूएसटी ग्लोबल को 9 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
इसके अलावा मंत्रालय और कुछ और विभागों में भी इसी प्रकार की आउटसोर्स भर्ती हुई है जिसमें टैक्स और विभिन्न प्रकार के सेवा शुल्क मिलाकर कुल भुगतान, स्थाई कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन से बहुत ज्यादा हो गया है।