दुनिया के महत्वपूर्ण पांच महाद्वीपों (यूनाइटेड स्टेट, यूनाइटेड किंगडम, साउथ अफ्रीका, भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील) के 80% उद्योगपतियों का मानना है कि वह नेट जीरो के लिए तैयार हैं। (पढ़िए- नेट जीरो क्या होता है) समय आ गया है कि सरकार इसके लिए कानून बनाएं।
कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबिलिटी लीडरशिप (CISL) का YouGov द्वारा जारी नया बिजनेस सर्वे कहता है कि बिजनेस समूहों को लगता है कि उनके पास ‘नेट जीरो’ को लेकर रणनीति और योजनाओं के साथ ही इसके अमल के लिए पर्याप्त धन की भी व्यवस्था है, लेकिन इस संदर्भ में स्पष्ट सरकारी नीतियों का बड़ा अभाव है।
सर्वे में सात देशों (ब्राजील, जापान, भारत, यूके, यूएस, जर्मनी, साउथ अफ्रीका) को शामिल किया गया था। नेट जीरो रेगुलेशन का बिजनेस समूहों ने मजबूती से समर्थन किया है। 10 में से 8 व्यवसायिक समूहों का कहना है कि उन्हें अपनी ‘नेट जीरो’ योजनाओं के अमल के लिए विनियमों (regulations) की जरूरत है।
10 में 7 का कहना है कि नेट जीरो को लेकर उनके पास कुछ न कुछ खाका अवश्य है। वहीं 65% कहते हैं कि उनके पास इसके लिए पर्याप्त निवेश तो है लेकिन सही नीतियों के अभाव में कंपनियां अपनी नेट जीरो योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन नहीं कर पाएगी।