कहा जाता है कि धार के परमार राजा भोज ने भोपाल की स्थापना की थी और उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम भोजपाल रखा गया जिसे अब भोपाल कहा जाता है परंतु इतिहास में एक और प्रसंग मिलता है और उससे पता चलता है कि इस इलाके की खोज एक भील राजा ने की थी और सबसे पहले उसी ने यहां पर अपने लोगों की बस्ती बनाई या नहीं भोपाल को रेजिडेंशियल एरिया घोषित किया।
कहा जाता है कि 350 ईस्वी में भोपाल क्षेत्र की जमीन गोंड राजाओं के अधीन हो गई थी परंतु तब यहां पर कोई रिहायशी बस्ती नहीं थी। 650 ईसवी के आसपास एक प्रसिद्ध गोंड राजा हुए जिनका नाम था भूपाल शाह। कहते हैं कि भूपाल शाह प्रजापालक राजा थे और काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने ही इस जमीन को रेजिडेंशियल एरिया घोषित किया और लोगों को रहने एवं खेती करने के लिए जमीन आवंटित।
इसके बाद लगभग 1400 सालों तक भोपाल पर गोंड राजाओं का शासन रहा। भोपाल के आखरी गोंड राजा का नाम निजाम शाह था। जिन के सौंदर्य का वर्णन कथाओं में मिलता है, रानी कमलापति इन्हीं की पत्नी थी और भोपाल की आखरी रानी। भोपाल में इन्हीं के नाम पर कमला पार्क बनाया गया जो रानी के महल की छत पर बना हुआ है। भोपाल शहर में स्थित वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन का नाम भी रानी कमलापति रेलवे स्टेशन है।