यह तो सभी जानते हैं कि भारत के मध्य में बसा मध्य प्रदेश सतपुड़ा और विंध्याचल की पर्वत श्रृंखलाओं के साथ हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ प्रदेश है परंतु यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत का पहला रिजर्व फॉरेस्ट यानी संरक्षित वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है।
मध्य प्रदेश का हिल स्टेशन एवं सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी क्षेत्र में बोरी अभयारण्य को भारत का पहला रिजर्व फॉरेस्ट घोषित किया गया था। यह इतना संरक्षित वन क्षेत्र है कि इसके बारे में विकिपीडिया पर भी ज्यादा जानकारी नहीं है। सन 1865 में इसे अभयारण्य का दर्जा दिया गया। यह 518 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां 100 साल से अधिक उम्र वाले पेड़ आपको बड़ी आसानी से दिखाई दे जाएंगे। आप इन पेड़ों को पहचान सकते हैं क्योंकि इनके तने पर बिल्कुल वैसी ही धारियां दिखाई देती हैं जैसी 100 साल आयु वाले किसी बुजुर्ग के शरीर पर दिखाई देती हैं।
अंग्रेजों द्वारा सन 1962 में पचमढ़ी में वन विभाग की स्थापना की गई थी। उस समय वन विभाग का काम था सतपुड़ा के जंगलों से सागवान और बांस के पेड़ों की कटाई करना। इससे वह लोग रेलवे स्लीपर और अपने पानी के जहाज बनाया करते थे। इसी वन विभाग में कुलकर्णी साहब की पोस्टिंग हुई थी। उन्होंने जनरल के साथ अन्याय नहीं होने दिया। जितना जंगल काटा गया उससे ज्यादा प्लांटेशन कुलकर्णी साहब ने किए। इसके साथ ही कुलकर्णी साहब ने रिजर्व फॉरेस्ट का दर्जा देकर यह सुनिश्चित किया कि कोई भी इस जंगल की कटाई ना करें।
बताया जाता है कि बोरी अभयारण्य में जितने भी पेड़ दिखाई देते हैं उनमें से ज्यादातर का प्लांटेशन कुलकर्णी साहब ने किया है। आज भी उनका घर जंगल में मौजूद है। बताते हैं कि कुलकर्णी साहब की अस्थियां भी बोरी अभयारण्य में विसर्जित की गई थी। यही उनकी अंतिम इच्छा भी थी। वन विभाग के रिकॉर्ड में कुलकर्णी साहब का पूरा नाम नहीं मिला।