वर्तमान में वन विभाग का मतलब होता है, जंगल और उसमें रहने वाले वन्य प्राणी, जीव जंतुओं की रक्षा करने वाला विभाग। यदि कोई जंगल से लकड़ी काटता है तो वन विभाग के सिपाही उसे पकड़ कर जेल में डाल देते हैं परंतु क्या आप जानते हैं भारत में वन विभाग की स्थापना जंगल को बचाने के लिए नहीं बल्कि जंगल काटने के लिए की गई थी।
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारत में वन विभाग की शुरुआत मध्य प्रदेश की सीमा में आने वाले सतपुड़ा के जंगलों से हुई थी। सन 1862 में मध्य प्रदेश की वर्तमान राजधानी भोपाल से 200 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में भारत के वन विभाग ऑफिस खोला गया था। इस ऑफिस को आज भी देखा जा सकता है। पचमढ़ी में इसे बायसन लॉज के नाम से जाना जाता है। वन विभाग ने इस भवन को म्यूजियम बना दिया है, जिसमें सतपुड़ा का पूरा इतिहास बताया जाता है।
अंग्रेजों के समय बने इंडियन फारेस्ट डिपार्टमेंट का उद्देश्य जंगल, वन्य प्राणी और जीव-जंतुओं की रक्षा करना नहीं बल्कि पेड़ों को काटना था। अंग्रेजों द्वारा स्थापित वन विभाग द्वारा सतपुड़ा के जंगलों से सागवान और बांस के पेड़ काटे जाते थे। इनका उपयोग ब्रिटिश गवर्नमेंट के पानी के जहाज और रेलवे ट्रैक बनाने के काम आते थे, लेकिन इस बात के लिए अंग्रेजों की निंदा नहीं की जा सकती क्योंकि जितने पेड़ उन्होंने काटे, उससे ज्यादा वृक्षारोपण किया।
पचमढ़ी के नजदीक बोरी अभ्यारण में अंग्रेजों के लगाए हुए पेड़ आज भी खड़े हुए हैं। करीब डेढ़ सौ साल पहले हुए वृक्षारोपण के कारण बोरी अभयारण्य एक अद्वितीय जंगल बन रहा है।