सारी दुनिया में तो बहुत पहले से हो रही थी लेकिन भारत में नेट जीरो की चर्चा इन दिनों काफी तेजी से होने लगी है। सरकार पूरी गंभीरता के साथ इस दिशा में काम कर रही है। आइए जानते हैं कि यह नेटजीरो क्या होता है और इससे भारत के आम नागरिकों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा।
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक विकासशील देश है। तरक्की के लिए मशीनों की जरूरत होती है। बड़े-बड़े कारखाने लगाने होते हैं। ट्रांसपोर्टेशन में वृद्धि होती है और बिजली का उपयोग अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाता है। इनके कारण विकास तो होता है परंतु वातावरण में जहरीली गैसों का रिसाव भी बहुत तेजी से होता है। इसके कारण मौसम प्रभावित हो जाता है। कहीं सूखा पड़ने लगता है और कहीं अत्यधिक बारिश होने लगती है। बाढ़ आ जाती है।
कुछ लोगों को लगता है कि नेट जीरो का मतलब हुआ। कारखाने बंद कर दिए जाएंगे। बिजली का उत्पादन कम कर दिया जाएगा और ट्रांसपोर्टेशन भी कम कर दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है। नेट जीरो का मतलब है कि हमारे विकास कार्यों के कारण वातावरण में जो जहरीली गैस शामिल हो रही है उनको खत्म करने के लिए दूसरे प्रयास भी किए जाएं। कार्बन डाइऑक्साइड से लड़ने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है, और ऑक्सीजन घने जंगल और उनमें मौजूद नदी एवं तालाबों से सबसे ज्यादा मात्रा में मिलती है।
अपन इसकी डिटेल में नहीं जाएंगे लेकिन अपने प्रश्न का उत्तर यहां मिल जाता है कि नेट जीरो का मतलब है हम भारत में विभिन्न प्रकार के कामों से जितनी जहरीली गैसों का उत्सर्जन करेंगे। उनसे लड़ने के लिए उतनी ही अच्छी गैसों का भी उत्सर्जन करेंगे। ताकि भारत के मौसम पर जहरीली गैसों का असर खत्म हो जाए। नेट जीरो हो जाए।