Amazing facts in Hindi- भगवान श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण

Bhopal Samachar
भारतीय पूजा पद्धति में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को दूर्वा अर्पित करने का विधान निर्धारित किया गया है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा का वर्णन भी है परंतु हम सब जानते हैं कि इस प्रकार की परंपराओं के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण भी होता है। आइए जानते हैं कि भगवान श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करने का वैज्ञानिक कारण क्या है। 

श्रीगणेश को दूर्वा- पौराणिक कथा 

अनलासुर नामक एक दैत्य, ऋषि-मुनियों को जीवित निगल जाता था। ऋषि मुनियों की रक्षा करने एवं राक्षस को दंडित करने के लिए भगवान श्री गणेश ने अनलासुर राक्षस को ही जीवित निगल लिया। जिसके कारण उनके पेट में जलन होने लगी। तब कश्यप ऋषि ने उन्हें दूर्वा घास अर्पित की जिसके कारण उनके पेट में जलन शांत हो गई। तब से धर्म परायण मनुष्यों की रक्षा करने वाले भगवान श्री गणेश को हरी दूर्वा घास अर्पित करने की परंपरा स्थापित हुई। 

श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण

भगवान श्री गणेश का मुख हाथी से लिया गया है। हाथी को हरी घास बेहद पसंद होती है क्योंकि वह आसानी से पच जाती है। वैज्ञानिक लैब में टेस्ट करने पर पाया गया है कि दूर्वा में सेलूलोज़ (एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट) बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स जैसे न्यूट्रिअन्ट्स भी पाए जाते हैं। जो ना केवल अत्यधिक भूख को शांत करते हैं बल्कि पेट में होने वाली ऐसिडीटी (जलन/अम्लीयता) को भी खत्म करते हैं। दूर्वा घास इस पृथ्वी पर मौजूद सबसे उत्तम एंटासिड (Antacid; प्रतिअम्ल) है। जिस का आविष्कार कश्यप ऋषि द्वारा किया गया। 

क्योंकि भारतीय नागरिक शिक्षित नहीं थे। विज्ञान को स्वीकार नहीं करते थे लेकिन धर्म के प्रति उनकी प्रगाढ़ आस्था थी। अतः कश्यप ऋषि ने भगवान श्री गणेश को (जिन्हें भोजन अत्यंत प्रिय है और जिनका पेट बड़ा है) हरी दूर्वा घास अर्पित करके यह प्रतिस्थापित किया कि अत्यधिक और असहनीय एसिडिटी होने पर भी दूर्वा घास उसे तत्काल शांत करने की क्षमता रखती है। यदि आप कोई ऐसी चीज खा लेते हैं जिसका पाचन लगभग असंभव है वह भी हरी दूर्वा के कारण पच जाती है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!