आज की तारीख में भोपाल किसी परिचय और पहचान का मोहताज नहीं है। पूरी दुनिया में लोग इस शहर को जानते हैं क्योंकि इसका तालाब, यहां की संस्कृति और यहां का पर्यावरण अद्वितीय है परंतु सन 1726 से पहले इसे कोई नहीं जानता था। भोपाल एक गांव था जिसे एक उपकार के बदले गिफ्ट कर दिया गया था।
यह तो आप जानते ही हैं कि भोपाल की खोज भील राजा भूपाल शाह ने की थी और पहली बार इस क्षेत्र में एक गांव बसाया गया ( यहां पढ़िए- भोपाल की खोज किसने की थी, भीलों का शासन कब तक चला)। लंबे समय तक यह क्षेत्र गोंड राजाओं के अधीन रहा। फिर कुछ समय के लिए परमार राजा भोज के अधीन चला गया और फिर वापस गोंडवाना राज्य का हिस्सा बन गया। सन 1720 तक भोपाल सिर्फ एक गांव था।
इससे पहले निजाम शाह की मृत्यु के बाद उनकी रानी कमलापति ने राज्य की बागडोर संभाली परंतु उनके सौंदर्य से मोहित होकर उन्हीं के रिश्तेदार ने उन पर अधिकार करने के लिए हमला कर दिया। ऐसी स्थिति में एक अफगान सिपाही दोस्त मोहम्मद खान (जिसने कुछ समय पहले ही बैरसिया पर फतह हासिल की थी) ने रानी कमलापति को सैन्य सहायता दी।
इस मदद के बदले रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान को भोपाल गांव गिफ्ट कर दिया था। सन 1720 में दोस्त मोहम्मद खान ने भोपाल गांव की किलाबंदी शुरू की और सन 1726 में दोस्त मोहम्मद खान ने भोपाल को एक राज्य और खुद को भोपाल का नवाब घोषित कर दिया। इस प्रकार भारत के नक्शे पर एक नए राज्य का उदय हुआ।