भारतवर्ष में कई स्वयंभू गणेश प्रतिमाएं मौजूद है परंतु मनुष्यों द्वारा पत्थर पर बनाई गई भारत की पहली श्री गणेश प्रतिमा मध्य प्रदेश में स्थित है। यह प्रतिमा चौथी शताब्दी में बनाई गई थी। इससे पहले तक भारत में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा हुआ करती थी। भगवान श्री गणेश की प्रतिमा अथवा मंदिर का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सेवानिवृत्त अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास के अनुसार चौथी शताब्दी में जब चंद्रगुप्त द्वितीय ने मालवा पर विजय प्राप्त की तब उनके सेनापति वीरसेन द्वारा उदयगिरि की पहाड़ी में स्थित प्राकृतिक गुफाओं को व्यवस्थित किया गया और यहीं पर स्थित एक बालू पत्थर पर करीब ढाई फुट ऊंची भगवान श्री गणेश की प्रतिमा बनाई गई। इसमें भगवान श्री गणेश को आसन पर बैठा हुआ प्रदर्शित किया गया है। उनके हाथ में मोदक का पात्र है। इसलिए माना गया कि यह बाल गणेश की प्रतिमा है।
उदयगिरि की गुफाएं विदिशा जिला मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र मालवा की सीमा पर स्थित है। पूर्व में इसे भिलसा कहा जाता था और वर्तमान में विदिशा के नाम से जाना जाता है जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 57 किलोमीटर की दूरी पर है।
उदयगिरि की गुफाएं और बाल गणेश की प्रतिमा को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु एवं पुरातत्व में रुचि रखने वाले लोग नियमित रूप से आते रहते हैं।