भारत में चीता संरक्षण के बड़े प्रयास किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि जब भारत में कुपोषण और भुखमरी जैसी स्थिति है तो फिर चीता के संरक्षण पर इतना भारी भरकम बजट क्यों खर्च किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि चीता के संरक्षण से इंसानों को क्या फायदा होगा।
भारत में चीता का संक्षिप्त इतिहास
भारत में मुगल काल से पहले दुनिया भर में चीतों की संख्या काफी ज्यादा थी। चीता एक मांसाहारी जानवर है और आदतन शिकारी है फिर भी मिस्र और भारत सहित दुनिया के कई देशों में चीता का पालन पोषण किया जाता था। मुगल काल में भी चीता पाले गए परंतु इनका उपयोग एक हथियार की तरह किया गया। दुश्मन का शिकार करने के लिए इनको छोड़ दिया जाता था। इसके बाद राजाओं ने खुद को सबसे बेहतर शिकारी साबित करने के लिए चीता का शिकार करना शुरू कर दिया और सन 1948 में कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने भारत में बचे 3 चीतों का शिकार किया। इस प्रकार भारत में चीता प्रजाति खत्म हो गई।
प्रकृति में चीता की उपयोगिता
वैसे तो चीता एक मांसाहारी और शिकारी जानवर है परंतु यह एक स्वस्थ पर्यावरण में ही जीवित रह पाता है। यदि पर्यावरण में प्रदूषण होता है तो चीता की मृत्यु हो जाती है। यानी चीता एक थर्मामीटर का काम करता है। जिससे पता चलता है कि पर्यावरण में प्रदूषण नियंत्रण में है। दुनिया के जितने भी क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ता गया वहां से चीता प्राकृतिक रूप से विलुप्त होते चला गया। यह नोट करना जरूरी है कि भारत में चीता प्राकृतिक रूप से विलुप्त नहीं हुआ बल्कि शिकार करके उसकी प्रजाति को खत्म किया गया।
सीता के संरक्षण से भारत में इकोसिस्टम बहाल होगा। इसके कारण CO2 यानी कार्बन का संतुलन बनेगा। हम सभी जानते हैं कि व्हाट्सएप पर एक मैसेज पढ़ने से लेकर बड़े-बड़े कारखानों की चलाने तक कार्बन का उत्सर्जन होता है। इसके कारण संतुलन बिगड़ रहा है। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। अतः पृथ्वी पर कार्बन का संतुलन बनाना अनिवार्य हो गया है।
CO2 नहीं होगी तो क्या होगा
हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल में CO2 की 640 किलोमीटर मोटी परत घूम रही है। CO2 दिन के समय सूरज की गर्मी को पृथ्वी के भीतर जाने से रोकता है। यदि CO2 नहीं होगा तो दिन के समय पृथ्वी का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस या इससे भी ज्यादा हो सकता है। ऐसी स्थिति में इंसान जीवित नहीं रह पाएगा।
यदि वायुमंडल में CO2 नहीं होगा तो सूर्यास्त होते ही पृथ्वी का तापमान तेजी से कम होने लगेगा। यह -100 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तक कम हो सकता है। ऐसी स्थिति में सब कुछ बर्फ बन जाएगा। जब तक दूसरे दिन सूर्योदय होगा तब तक कम से कम मनुष्य प्रजाति खत्म हो चुकी होगी।
इसलिए पर्यावरण में प्रदूषण को कम करना और वायुमंडल में CO2 का संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। चीता एक इंडिकेटर है जो यह बताता है कि यदि वह जीवित है यानी उस क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषित नहीं है और CO2 संतुलित है।