मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हाई प्रोफाइल, बिल्लबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल की बस में 3 साल की मासूम बच्ची (और तीन अज्ञात मासूम लड़कियों) के साथ वह सब कुछ ना होता, यदि पुलिस आरोपी ड्राइवर को क्लीन चिट ना देती। इन्वेस्टिगेशन में पाया गया है कि आरोपी ड्राइवर के खिलाफ 3 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसे शराब पीने की लत लगी हुई थी। इसके बाद भी पुलिस ने स्कूल बस के लिए ड्राइवर को फिट बता दिया।
शाहपुरा पुलिस थाने ने दरिंदे को दयालु वेरीफाई कर दिया था
एडिशनल डीसीपी जोन-1 श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि आरोपी ड्राइवर के खिलाफ पूर्व में दो केस दर्ज होने का पता चला है। उसकी तस्दीक की जा रही है। जांच में ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के संबंध में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल ने कहा कि ड्रायवर हनुमंत जाटव द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन खुद शाहपुरा थाने से कराकर लाया गया है।
जो समाज के लिए खतरनाक है वह स्कूल बस चला रहा था
ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल द्वारा बताया गया था कि वह जुलाई 2022 से स्कूल में कार्यरत है। अब पता चला है कि उसके खिलाफ पहले से तीन केस दर्ज हैं। इनमें शाहपुरा थाने में मारपीट के दो और धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस एमपी नगर थाने में दर्ज है।
पुलिस देखो कितनी मासूम है
इधर पुलिस का कहना है कि सारी गलती स्कूल मैनेजमेंट और ड्राइवर की है। पुलिस वेरिफिकेशन के समय ड्राइवर ने केवल अपना नाम बताया था। स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि भी उसके साथ आए थे। इसलिए पुलिस ने उसे वेरीफाई कर दिया। (पुलिस का बयान, ऐसा लगता है जैसे पुलिस कोई मशीन थी। इनपुट गलत था इसलिए आउटपुट भी गलत आ गया। मशीन की कोई गलती नहीं है। पुलिस की कोई जिम्मेदारी नहीं है। वेरिफिकेशन के समय उसका फोटो खींचना। उसके फिंगरप्रिंट करना। पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। कितनी अजीब बात है!)