जब कोई सिविल केस में निचली अदालत कोई डिक्री या निणर्य पारित कर देती है तब उस निर्णय से अप्रसन्न कोई भी पक्षकार प्रथम अपील जिला न्यायालय उसके बाद द्वितीय अपील हाईकोर्ट में एवं लेटर पेटेन्ट के अंतर्गत डिक्री को अपास्त करवाने का प्रयत्न करेगा लेकिन संपत्ति के कुछ मामलों में पक्षकारों को द्वितीय अपीली करने का अधिकार नही होता है जानते हैं पक्षकारों की द्वितीय अपील उच्च न्यायालय द्वारा कब स्वीकार नहीं होती है।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 102 की परिभाषा
किसी भी संपत्ति संबंधित सिविल मामलों में वाद की राशि 25 हजार रुपये से कम हो तब ऐसे मामले की अपील उच्च न्यायालय में द्वितीय अपील के अनुसार स्वीकार नहीं होगी। अर्थात 25 हजार से ऊपर की संपत्ति संबंधित सिविल मामलों की द्वितीय अपील उच्च न्यायालय में स्वीकार होगी।
इस धारा का उद्देश्य द्वितीय अपील को समुचित दायरे में करते हुए वादों अपीलों की बाहुल्यता को रोकने की नीयत से यह प्रतिबंध लगा दिया गया है अर्थात 25 हजार से कम संपत्ति मामलों प्रथम अपील द्वारा किया गया निर्णय सारवान होगा।
✍️ लेखक बीआर अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665