जब कोई वाद सिविल कोर्ट में दायर किया जाता है एवं सिविल न्यायालय उस वाद में डिक्री(न्यायिक निर्णय) या आदेश पारित कर देता है तब कोई भी ऐसा पक्षकार जो उस निर्णय या आदेश से प्रसन्न नहीं है अपीलीय न्यायालय में प्रथम अपील कर सकता जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 96 की परिभाषा:-
सिविल कोर्ट द्वारा पारित ऐसी डिक्री, निर्णय, आदेश जिसके कारण कोई भी एक पक्षकार संतुष्ट नहीं है वह अपने अपीलीय न्यायालय में निर्णय ,डिक्री, आदेश आदि को निरस्त करने के लिए प्रथम अपील कर सकते हैं।
विशेष नोट:- 1. एकपक्षीय पारित मूल डिक्री की अपील हो सकेगी।
2. कोई भी व्यक्ति निर्णय के अप्रसन्न हैं वह अपीलीय न्यायालय में अपील कर सकता है, चाहे वह व्यक्ति उस मामले में पक्षकार हो या न हो।
3. पक्षकारों की सहमति से पारित डिक्री, निर्णय के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती है।
प्रथम अपीलीय न्यायालय की श्रेणी में प्रमुख तौर पर से जिला जज व उच्च न्यायालय होते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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