जब सत्र न्यायालय में किसी अपराध की जाँच, विचारण या अन्य कार्रवाई चल रही होती है और न्यायालय या मजिस्ट्रेट को लगता है कि न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए साक्षी की परीक्षा बिना विलम्ब किए करवाना आवश्यक है और साक्षी न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर रहता है तब न्यायालय को दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 284 के अंतर्गत शक्ति प्राप्त है कि वह एक समिति या कमीशन का गठन करे।
संहिता की इसी धारा के अंतर्गत न्यायालय को भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या किसी राज्यक्षेत्र के प्रशासक की साक्षी (गवाह) के रूप में बयान लेना आवश्यक है तब उनके लिए बयान के लिए कमीशन जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 271 एवं 284 में अंतर
• धारा 271 के अंतर्गत कमीशन तब जारी किया जाता है जब साक्षी किसी कारागार में बंद है एवं साक्षी को बाहर निकालने पर कोई लोकशान्ति भंग होने की संभावना हो।
• धारा 284 के अंतर्गत कमीशन न्यायालय द्वारा तब जारी किया जाएगा जब साक्षी न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर हो एवं न्यायालय की कार्यवाही के समय परीक्षा करवाना अति आवश्यक हो।
क्या होता है न्यायालय कमीशन जानिए
न्यायालय द्वारा एक समिति (आयोग) गठित की जाती है इस इस समिति का उद्देश्य राज्य या राज्यक्षेत्र या से बाहर के साक्षी की परीक्षा करवाती है एवं जो व्यक्ति किसी कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है तब आयुक्त को नियुक्त कर वही जाकर साक्षी की परीक्षा लेती है। कमीशन द्वारा ली गई परीक्षा ऐसी मानी जाएगी जैसे न्यायालय के समक्ष ली गई हो। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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