वैसे तो उच्च न्यायालय एक अपीलीय न्यायालय होता है जिसमे किसी भी सिविल मामलों, आपराधिक मामलों या राजस्व न्यायालय के आदेश, निर्णय, डिक्री आदि की अपील की जाती है। किसी भी मामले के वाद को उच्च न्यायालय डारेक्ट नहीं सुनता है न ही किसी साक्षियों के बयान या आरोपी के कथन, बयान को दर्ज करता है लेकिन क्या आपको पता है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 283 उच्च न्यायालय में साक्षियों की परीक्षा के बारे में प्रावधान करती है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 283 की परिभाषा
भारत का प्रत्येक हाईकोर्ट साधारण नियम द्वारा ऐसे नियम बना सकता है जिसमे वह साक्षियों के साक्ष्य एवं आरोपी की परीक्षा को ले सके एवं साक्ष्य और परीक्षा के बयान, कथन अभिलिखित कर सकता है।
कानून भाषा से अलग साधारण शब्दों में कहे तो उच्च न्यायालय इस धारा के अंतर्गत साक्षियों के साक्ष्य या आरोपी की परीक्षा हाईकोर्ट में करवाना अवश्य है, तब हाईकोर्ट को उक्त धारा के अंतर्गत शक्ति प्राप्त है कि वह सामान्य नियम बनाकर साक्षियों के साक्ष्य या आरोपी की परीक्षा करवा सकता है जैसा वह ठीक समझे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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