दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 285 की उपधार (1) के अनुसार न्यायालय अगर किसी भारत राज्य क्षेत्र में जहाँ संहिता लागू है कमीशन (आयोग) भेजती है तब उस महानगर मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को समन जारी करके या साक्षी के स्थान पर जाकर साक्ष्य लेना होगा एवं उस क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को यह शक्ति प्राप्त होगी जो वारण्ट मामलों में क्षेत्राधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट को प्राप्त होती है, सवाल यह है की क्या कमीशन मामलों में दूसरा पक्षकार साक्षी से बहस करने का अधिकार रखता है जानते हैं इसका जवाब।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 287 की परिभाषा
1. अगर किसी साक्षी के लिए न्यायालय द्वारा कोई कमीशन भेजा गया है तब पक्षकार ऐसे न्यायालय में लिखित रूप से आपने विवादक प्रश्नों को भेज सकता है जिसे कमीशन निदेश नियुक्त किया गया, अगर विवादक प्रश्न विधिपूर्ण हुए तो मजिस्ट्रेट उसी आधार पर साक्षी की परीक्षा करेगा।
2. इस धारा के अंतर्गत पक्षकार को अधिकार है कि वह वकील द्वारा या वह हिरासत में नहीं है तो स्वंय द्वारा साक्षी की परीक्षा, प्रति-परीक्षा (क्रास बहस) या पुनः परीक्षा ले सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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