भारत की राजधानी एवं केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी चीफ श्री अरविंद केजरीवाल के दामन पर दाग लगता हुआ दिखाई दे रहा है। खबर आ रही है कि उनके कार्यकाल में दिल्ली जल बोर्ड में ₹200000000 का घोटाला हुआ। इसकी शुरुआत शीला दीक्षित सरकार के समय हुई थी और यह गड़बड़ी केजरीवाल के समय कंटिन्यू की गई।
दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि इस मामले में जिम्मेदार दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। बताया जा रहा है कि एक प्राइवेट बैंक के कई अधिकारी भी जांच की जद में है। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दिल्ली जल बोर्ड में जब यह घोटाला हुआ तब बोर्ड के चेयरमैन अरविंद केजरीवाल थे।
दिल्ली जल बोर्ड 20 करोड़ घोटाला क्या है
पूरे देश में जलकर की राशि जल प्रदाय करने वाली संस्था स्थानीय निकाय के खाते में जमा कराई जाती है। सन 2012 में शीला दीक्षित सरकार के समय अचानक फैसला लिया गया कि एक प्राइवेट एजेंसी वाटर टैक्स कलेक्शन का काम करेगी और सारा पैसा उसी के खाते में जमा किया जाएगा। यह सरकारी निर्धारित प्रक्रिया से अलग था। कलेक्शन का काम करने वाली एजेंसियां सरकारी खाते में पैसा जमा कराती है अपने खाते में कलेक्शन नहीं ले सकती।
दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में अरविंद केजरीवाल ने क्या गलती की
बताया जा रहा है कि सत्ता परिवर्तन के बाद जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी दिल्ली जल बोर्ड वॉटर टैक्स कलेक्शन के इस आपत्तिजनक प्रोसीजर को कंटिन्यू रखा। जनता एजेंसी के खाते में पैसा जमा कराती रही और एजेंसी ने जल बोर्ड के खाते में पूरे पैसे जमा नहीं किए। बताया जा रहा है कि 11 जुलाई 2012 से लेकर 10 अक्टूबर 2019 के बीच कुल ₹200000000 की गड़बड़ी हुई है।