सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित DHSGSU (डॉ. हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी) में फर्जी अंकसूची लगाकर असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी पाने वाले आरोपी संतोष अहिरवार को अदालत ने 3 साल की सजा सुनाई है। प्रकरण की सुनवाई द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शिव बालक साहू की कोर्ट में हुई। न्यायालय ने प्रकरण में सुनवाई करते हुए आरोपी संतोष पुत्र परमलाल अहिरवार उम्र 39 वर्ष हाल निवासी अहमदनगर वृंदावन वार्ड सागर को दोषी पाते हुए 3 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
26 अगस्त 2016 को फरियादी डॉ. अनिल किशोर पुरोहित ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत की थी कि डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में वर्ष 2012-13 में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक संतोष कुमार अहिरवार ने अपने आवेदन में निर्धारित योग्यता के संबंध में BCJ की फर्जी अंकसूची लगाई है। जिसके आधार पर सहायक प्राध्यापक के पद पर पदस्थ हुआ है। जबकि फरियादी डॉ. अनिल विभागीय मैरिट सूची में प्रथम स्थान पर था। उसे 2 जून 2016 को उक्त जानकारी मिली। जिस पर विश्वविद्यालय के कुलपति को जानकारी दी थी।
कुलपति द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने पर दोबारा 22 जुलाई 2016 को लिखित शिकायत की थी। जिसमें बताया गया था कि संतोष द्वारा विश्वविद्यालय में पेश की गई बीसीजे की अंकसूची फर्जी है और उसकी असल अंकसूची अनुसार वह अनुत्तीर्ण है। फर्जी अंकसूची के आधार पर संतोष कुमार ने सहायक प्राध्यापक के पद पर अवैध नियुक्ति प्राप्त की है। संतोष कुमार के सेवा रिकार्ड में बार-बार अंकसूची बदलने का प्रयास किया गया। सेवा पुस्तिका की प्रति आरटीआई के माध्यम से फरियादी डॉ. अनिल को तत्कालीन कुल सचिव के हस्ताक्षर से मिली थी जो बाद में डोफा कार्यालय के रिकार्ड में नहीं पाई गई।
संतोष कुमार की अंकसूची का वैरिफिकेशन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से कराया गया था। जिसमें पाया गया कि संतोष कुमार बीसीजे 2008 में छटवें सेमेस्टर में अनुत्तीर्ण हैं। फरियादी की उक्त शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले से जुड़ा आवेदन मिलने पर सिविल लाइन थाना पुलिस ने जांच की। जांच में फर्जी अंकसूची लगाकर नौकरी पाने की पुष्टि हुई। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी संतोष के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया। जांच करते हुए पुलिस ने साक्ष्य जुटाए और आरोपी को गिरफ्तार किया। जांच पूरी होने पर न्यायालय में चालान पेश किया। कोर्ट ने प्रकरण में सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने प्रकरण से जुड़े साक्ष्य और दलीलें कोर्ट में पेश की। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुना। जिसके बाद फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने आरोपी संतोष को सजा सुनाई है।