ग्वालियर नगर निगम भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले में मध्य प्रदेश का नंबर वन नगर निगम कहा जा सकता है। यहां बड़े-बड़े कांड होते हैं। अप्पर आयुक्त अतेंद्र सिंह गुर्जर ने तो अपने घर को दस्तावेजों में सरकारी ऑफिस बता दिया। सरकारी खर्चे पर सिक्योरिटी गार्ड खड़े करवा दिए। सातवां वेतनमान और निर्धारित सरकारी सुविधाएं शायद होने पर आप तो नहीं लग रही थी।
ग्वालियर नगर निगम में अपर आयुक्त राजस्व अतेंद्र सिंह गुर्जर को थाटीपुर गांव में मंदिर के सामने सी-12 नंबर का बंगला आवंटित है। सरकार इसका ना के बराबर किराया लेती है। मेंटेनेंस का खर्चा सरकार देती है। इसके अलावा सरकारी वाहन और दूसरी सुविधाएं भी मिली हुई है। इतने सबके बाद सातवां वेतनमान किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी आवश्यकता से कहीं ज्यादा है। लेकिन अपर आयुक्त को इतने से संतोष नहीं।
उन्होंने अपने बंगले को दस्तावेजों में उपनगरीय कार्यालय बताया और शर्मा सिक्योरिटी एजेंसी को पत्र लिखकर 3 सिक्योरिटी गार्ड तैनात करवाए। नियमानुसार इसके लिए नगर निगम कमिश्नर की मंजूरी जरूरी है। यह जांच का विषय है कि नगर निगम कमिश्नर ने इसकी मंजूरी दी या नहीं।
ग्वालियर नगर निगम में इन दिनों आउट सोर्स कर्मचारी भर्ती घोटाले की जांच चल रही है। खुलासा हुआ है कि नियुक्ति के लिए निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हुए ग्वालियर नगर निगम में बड़े पैमाने पर आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती की गई और सरकारी खजाने से उनको वेतन दिया गया। इसमें उस एजेंसी की भूमिका की भी जांच की जा रही है जिसने आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराएं हैं।