ग्वालियर। 6 करोड की प्रॉपर्टी की बिक्री के लिए दोनों पार्टियों के बीच एग्रीमेंट के नाम पर रजिस्टार ऑफिस में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कर दी गई। इस मामले में सब रजिस्टार मानवेंद्र सिंह भदौरिया की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जांच में पता चला है कि उनके सामने दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने इसे पकड़ भी लिया था परंतु फिर बाद में कोई कार्यवाही नहीं की।
रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मचारी नारायण सिंह और उनके बेटे बलराम सिंह की महाराजपुरा में पांच बीघा जमीन है। इसका सौदा सपात खान, अनिल सिंह परमार व उसके अन्य साथियों के साथ किया था। पहले अनुबंध का तय हुआ फिर दो माह बाद रजिस्ट्री की बात हुई थी। सौदा एक करोड़ 22 लाख प्रति बीघा के हिसाब से तय हुआ। 28 मार्च 2022 में अनुबंध के नाम पर यह लोग रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मचारी व उसके बेटों को पंजीयन कार्यालय ले आए और चुपचाप स्लाट बुक कर लिया।
अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा, लेकिन सब रजिस्ट्रार मानवेंद्र सिंह भदौरिया ने टोका और रजिस्ट्री रोक दी। इसके एक माह के भीतर यही रजिस्ट्री जारी कर दी गई। इस मामले में सपात खान, अनिल सिंह परमार, हनीफ खान, योगेश राजावत और पप्पू आरोपित हैं। इस पूरे मामले में विवादित रजिस्ट्री को रिलीज करने से पहले वरिष्ठ अफसरों को जानकारी नहीं दी गई।
यूनिवर्सिटी थाने में यह मामला दर्ज हुआ है। रजिस्ट्री के बाद प्रॉपर्टी का नामांतरण ना हो जाए इसलिए पुलिस ने तहसीलदार को इस केस की जानकारी भेज दी है। इन्वेस्टिगेशन के दौरान एविडेंस कलेक्ट करने के लिए और आरोपियों की पहचान करने के लिए रजिस्ट्री पर हुए सिग्नेचर और अंगूठे के निशान की जांच के लिए फाइल भोपाल भेजी गई थी जहां से जांच रिपोर्ट आ गई है।
इस मामले की इन्वेस्टिगेशन कर रहे पुलिस इंस्पेक्टर जगवीर सिंह जादौन ने बताया कि पंजीयन कार्यालय में अनुबंध बताकर रजिस्ट्री कराने के मामले में भोपाल से हस्ताक्षर रिपोर्ट आ गई है, वह अंगूठे का निशान किसी और का निकला है। फर्जी हस्ताक्षर सामने आए हैं। अब आरोपित की तलाश कर रहे हैं।