GWALIOR NEWS- ठेकेदार ने यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में ताला जड़ दिया, पढ़िए सही किया या गलत किया

Bhopal Samachar
जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर में नवनिर्मित अटल बिहारी वाजपेई ऑडिटोरियम में ठेकेदार मनीष जैन द्वारा अपना ताला लगा दिया गया है। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी पर उनका 4500000 रुपए बकाया है। इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम पर कब्जा कर लिया है। 

ठेकेदार मनीष जैन की दलील

बताया गया है कि करीब 25 करोड़ की लागत से डेढ़ दशक में बन सके ऑडिटोरियम के साथ विवाद शुरू से ही जुड़े रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसे PIU के जरिए ठेकेदार मनीष जैन से बनवाया था। पूर्व में इसकी लागत सिर्फ 9 करोड़ थी जो बढ़ते-बढ़ते समय के साथ 25 करोड़ तक पहुंच गई थी। पिछले साल ही इसका लोकार्पण किया गया था। ठेकेदार मनीष जैन का आरोप है कि वह कई बार अपना पैसा मांग चुके हैं परंतु यूनिवर्सिटी का मैनेजमेंट उनको पेमेंट नहीं कर रहा है। 

ठेकेदार मनीष जैन का कहना है कि उन्होंने ऑडिटोरियम का कार्य 27 अगस्त 2021 को पूर्ण कर दिया था। इसके बाद उन्हें बकाया भुगतान कर दिया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। लिहाजा उनके पास ऑडिटोरियम में ताला डालने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। उनका यह भी कहना है यहां आए दिन कार्यक्रम किए जा रहे हैं जिससे विश्वविद्यालय को आय का एक मोटा जरिया भी मिला है। लेकिन उनके भुगतान को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन गंभीर नहीं है।

जीवाजी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट का तर्क

मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है ठेकेदार के भुगतान को लेकर जल्द ही कार्यवाही की जाएगी। ठेकेदार ने इस हॉल में कुर्सियां लगाई है जिसका उसे भुगतान होना है विश्वविद्यालय का यह भी कहना है कि इस ऑडिटोरियम से संबंधित फाइल है लोकायुक्त में जमा है वहां से फाइल आने के बाद ही पीआईयू के जरिए ठेकेदार का भुगतान कराया जाएगा।

कानून क्या कहता है- ठेकेदार ने सही किया या गलत किया

एडवोकेट अजय गौतम का कहना है कि यह शासकीय संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने का मामला है। ठेकेदार मनीष जैन के खिलाफ ना केवल आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है बल्कि उन को गिरफ्तार भी किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने ऑडिटोरियम में ताला लगा कर शासकीय शैक्षणिक कार्य में बाधा उत्पन्न कर दी है। एडवोकेट गौतम का कहना है कि बकाया पैसे की वसूली के लिए इस प्रकार तालाबंदी नहीं की जा सकती। अलबत्ता ठेकेदार न्यायालय की शरण में आ सकता है। न्यायालय के आदेश पर ऑडिटोरियम की कुर्की हो सकती है परंतु ठेकेदार या किसी अन्य व्यक्ति को ऑडिटोरियम की कुर्की करने का अधिकार नहीं है।

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