मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक इनोवेशन होने जा रहा है। जो भी मामला उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाएगा उसका एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाएगा। इसमें सभी संबंधित लोगों को जोड़ा जाएगा। इससे सभी लोग अपडेट रहेंगे और ट्रायल में परेशानी नहीं होगी।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि हर कोर्ट केस का एक अलग से व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं जिसमें केस से संबंधित अभियोजन अधिकारी, शासकीय अधिवक्ता, कोर्ट मुंशी, केस का जांच अधिकारी, केस से जुड़ा डाक्टर, फारेंसिक अधिकारी, सभी पक्षकारों और गवाहों को जोड़ा जाए। इसकी निगरानी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को जोड़ा जाए, जो केस पर निगरानी कर सके। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने की।
बंटू उर्फ धर्मेंद्र गुर्जर पर पुलिस थाना सिरोल में आर्म्स एक्ट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज है। वह पिछले छह माह से जेल में बंद हैं। बंटू ने चौथी बार हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। उसकी ओर से अधिवक्ता रवी द्विवेदी ने तर्क दिया कि गवाहों को वारंट भी जारी किए गए, लेकिन वह उपस्थित नहीं हो रहे हैं। अभियोजन गवाही कराने को लेकर गंभीर नहीं है। ट्रायल खत्म होने में समय लगेगा। इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए।
कोर्ट ने तथ्यों को देखने के बाद केस का वाट्सएप ग्रुप बनाने का आदेश दिया है। आदेश की कापी डीजीपी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को भेजी जाए। 28 सितंबर तक पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करना होगी।
कोर्ट का अपडेट पहुंचेगा
-वाट्सएप ग्रुप पर सूचना देने से केस से संबंधित अपडेट पहुंच जाएगा। कोर्ट ने कहा कि गवाहों में भी सुरक्षा की भावना रहेगी। अभियोजन ने उसे अधर में नहीं छोड़ा है। इससे वह गवाही देने के लिए स्वतंत्र होगा।
-गवाही नहीं होने से अभियुक्त जमानत के लिए दबाव डालते हैं। कर्मचारी काम के बोझ के तले दबे हैं। ऐसे में बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है। जिससे ट्रायल में तेजी आ सके।
-वाट्सएप ग्रुप की व्यवस्था गवाह को धमकी से बचाएगी।
-अभियोग पत्र पेश होने के बाद संबंधित पक्ष के बीच संवाद खत्म हो जाता है। ऐसे में केस भी कमजोर होते हैं। इस कारण दोष सिद्धी का अनुपात भी कम है। गवाहों के मुकरने के कारण दोष सिद्धी होती है। गवाह से अभियोजन संवाद खत्म हो जाता है।