जबलपुर। मोटर दुर्घटना मुआवजा दावा के संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि एक्सीडेंट के क्लेम में कंपनसेशन अमाउंट का निर्धारण व्यक्ति की टोटल इनकम के आधार पर किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मुआवजा राशि में से फ्लैट रेट पर इनकम टैक्स की कटौती नहीं की जानी चाहिए।
प्रकरण के अनुसार रिलायंस कंपनी में प्रबंधक के पद पर पदस्थ राम ओमर की 11 फरवरी, 2015 में सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। उस समय मृतक की उम्र मात्र 29 वर्ष थी। दुर्घटना दावा अधिकरण रीवा की अदालत ने 57 लाख 95 हजार 260 रुपये का अवार्ड पारित किया था। इसके खिलाफ मृतक की पत्नी मयंकाराम ओमर, बेटी ऐंद्री, पिता प्रदीप और मां नीलम ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। अपीलार्थियों की ओर से अधिवक्ता कपिल पटवर्धन ने पक्ष रखा।
उन्होंने दलील दी कि अधिकरण ने मृतक की कुल आय से परिवार को मिलने वाले लाभ, पर्क्स व एलाउंस की कटौती करने के बाद मुआवजा का निर्धारण किया। इसके अलावा इनकम टैक्स की कटौती फ्लेट 30 प्रतिशत के हिसाब से की गई।
मोटर दुर्घटना दावा में इनकम टैक्स की कटौती नहीं की जा सकती
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि मोटर दुर्घटना दावा का अवार्ड पारित करते समय फ्लेट इनकम टैक्स की कटौती नहीं की जा सकती। इतना ही नहीं मुआवजा मृतक की कुल आय के आधार पर तय करना होता है।
इस मत के साथ न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने दुर्घटना दावा अधिकरण रीवा द्वारा तय मुआवजा में 1 करोड़ 51 लाख 18 हजार 386 रुपये का इजाफा किया।