भारत का सर्वोच्च न्यायालय अब उन लोगों की जिम्मेदारियां निर्धारित करने वाला है जो आवारा कुत्तों को नियमित रूप से खाना खिलाते हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जो व्यक्ति आवारा कुत्ते को नियमित रूप से खाना खिलाएगा वही उसका वैक्सीनेशन भी करवाएगा और यदि वह कुत्ता किसी को काटता है तो पीड़ित का मेडिकल खर्चा भी वही व्यक्ति देगा। यह जिम्मेदारी निर्धारित की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि आवारा कुत्ते अब पूरे देश में एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। कुछ लोग लावारिस कुत्तों के प्रति काफी सहानुभूति रखते हैं। उन्हें नियमित रूप से खाना खिलाते हैं। कुछ तो ऐसे भी लोग हैं जिनके घर में हर रोज लावारिस कुत्तों की दावत होती है। उनके इस वन्य प्राणी प्रेम के कारण आसपास के लोगों को काफी असुविधा होती है और इसके कारण लगातार विवाद की स्थिति बन रही है। बांबे हाई कोर्ट और केरल हाई कोर्ट ने स्थानीय निकाय को आदेशित किया है कि वह कानून के मुताबिक कार्रवाई करें। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना- लावारिस कुत्तों के मामले में समाधान निकालना होगा
आवारा कुत्तों को लेकर दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि इसका कोई समाधान निकालना होगा। और यह समाधान तार्किक होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवारा एवं लावारिस कुत्तों से निर्दोष नागरिकों को बचाना जरूरी है। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 28 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
यहां उल्लेख अनिवार्य है कि भारत के कई क्षेत्रों में नागरिकों को परेशान करने वाले उन पर हमला करने वाले लावारिस कुत्तों को जान से मारने के नियम बने हुए हैं।