मानसून की विदाई का वक्त आ गया है परंतु भारत के कुछ इलाकों में तो इस तरह की वर्षा हो रही है जैसे सावन का महीना चल रहा है। मौसम वैज्ञानिक भी इस स्थिति का अध्ययन कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर जगह वर्षा का अलग-अलग दिखाई दे रहा है परंतु एक बात साफ नजर आती है कि इस साल शीत ऋतु में भी वर्षा होती रहेगी।
यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि समुद्र में ला-नीना के कारण बेमौसम बरसात पिछले कुछ सालों में होती आ रही है। इसके कारण अक्सर सितंबर के महीने में बारिश हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रशांत महासागर के मध्य में मौसम बहुत ठंडा हो जाता है। इसके कारण बादल उठकर भारत की जमीन इलाकों की तरफ बढ़ने लगते हैं और बारिश होने लगती है। यह मानसून वाले बादल होते हैं।
भारत मौसम विज्ञान केंद्र का कहना है कि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन एक कारण हो सकता है परंतु मौसम की इस तरह की अनिश्चित स्थिति इस साल के अंत यानी दिसंबर तक रह सकती है। डॉ चंद्रमोहन नोडल अधिकारी का कहना है कि अब समय आ गया है, लोगों को पर्यावरण और जलवायु के लिए काम करना चाहिए अन्यथा उनकी परेशानियां बढ़ती जाएंगी।