जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिला न्यायालय के न्यायाधीश तन्मय सिंह की कोर्ट ने नकली रेमडेसिविर मामले में सिटी अस्पताल, जबलपुर के संचालक सरबजीत सिंह मोखा सहित अन्य के विरुद्ध अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज करने से इंकार कर दिया था। इधर हाईकोर्ट में न्यू मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आग वाले मामले में संचालकों की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में निरस्त कर दी गई।
अधिवक्ता महेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यह मामला पुलिस द्वारा शिकायत को गम्भीरता से न लिए जाने के कारण परिवाद दायर करने से सम्बंधित है, जिसमें परिवादी ने आरोप लगाया था कि नकली इंजेक्शन लगाने से सिटी हॉस्पिटल में उसके कोविड पीड़ित परिजन की मृत्यु हुई थी।
डॉक्टर निशांत गुप्ता और सुरेश पटेल की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट में निरस्त
जबलपुर हाई कोर्ट ने न्यू मल्टी स्पेशिएलिटी अस्पताल अग्निकांड मामले में आरोपित अस्पताल प्रबंधक डा. निशांत गुप्ता और डा. सुरेश पटेल की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि हादसे की प्रारंभिक जांच में अस्पताल प्रबंधन की अनियमितता उजागर हुई है। अभी मामले में जांच चल रही है और अभियोजन को कुछ और तथ्य जुटाने हैं। ऐसी स्थिति में अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। एक अगस्त को शिवनगर दमोहनाका स्थित न्यू मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल में जेनरेटर से शार्ट-सर्किट के कारण भीषण आग लग गई थी। इस घटना में आठ लोगों को मौत हुई थी।
हमारी गिरफ्तारी हुई तो कैरियर बर्बाद हो जाएगा: डॉक्टरों ने कहा
आवेदक डाक्टरों की ओर से दलील दी गई कि चूंकि वे प्रबंधन में हैं, इसलिए उन्हें इस घटना के लिए दोषी करार नहीं दिया जा सकता। यदि वे गिरफ्तार होते हैं तो उनका कैरियर बर्बाद हो जाएगा। वहीं शासन की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने दलील दी कि संभागायुक्त की जांच-रिपोर्ट में अस्पताल की अनियमितता उजागर हुई है। जेनरेटर के रखरखाव के अभाव के कारण उसका टेम्परेचर बढ़ गया और उसमें आग लग गई।
अस्पताल प्रबंधन को कई बार जेनरेटर-सेट के रखरखाव के लिए चेतावनी दी गई थी। इसके अलावा घटना के समय अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में अग्निशमन-यंत्र उपलब्ध नहीं थे, इसलिए प्रबंधन पूरी तरह जिम्मेदार है। ऐसे में अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।