मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार ने जो खुद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी को श्रीमान बंटाधार कहती थी और शिक्षाकर्मियों, संविदाकर्मियों का शोषक कहती थी इन मुद्दों पर विपक्ष मे रहते भाजपा ने खूब शोर शराबा किया उसी भाजपा ने सरकार मे आते ही बाबूलाल गौर जी के मुख्यमंत्री रहते शैक्षणिक सत्र 2006-07 मे रिक्त शासकीय शिक्षक पदों पर 1000 रूपये प्रति माह मे स्कूलों मे अतिथिशिक्षकों को नियुक्त किया।
उसके बाद शैक्षणिक सत्र 2007-08 मे इन अतिथिशिक्षकों को प्राथमिक विधालयों मे अधिकतम 2500 रूपये प्रतिमाह, माध्यमिक एवं हाईस्कूल मे 3450 रूपये प्रतिमाह, हायर सेकेन्ड्री मे 4500 रूपये प्रतिमाह मानदेय पर शैक्षणिक सत्र 2016-17 तक रखा उसके बाद इनको आनलाइन चयन प्रक्रिया के नाम पर बाहर कर दिया गया जिससे 8-10 वर्ष तक शासकीय विधालयों मे सेवा देने वाले अतिथिशिक्षक बाहर हो गए जो पुराने एवं नये अतिथिशिक्षक नियुक्त किए गए उनको शैक्षणिक सत्र 2017-18 से प्राथमिक विधालयों मे अधिकतम 5000 रूपये प्रतिमाह, माध्यमिक एवं हाईस्कूल मे अधिकतम 6900 रूपये प्रतिमाह, हायर सेकेन्ड्री मे अधिकतम 9000 रूपये प्रतिमाह पर नियुक्त किया गया तब से अब तक इसी मानदेय पर अतिथिशिक्षक सेवा दे रहे है हालांकि पिछले वर्ष म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने अतिथिशिक्षकों का मानदेय बड़ाने व पुराने अतिथिशिक्षकों को अच्छा कार्यकाल रहने पर पुन: उसी विधालय मे रखने की घोषणा की थी पर बढ़े हुए मानदेय का आदेश कहॉं है ये नहीं पता।
अतिथिशिक्षकों के लिए भाजपा की घोषणाएं-
1 म.प्र के रायसेन जिले मे 11 मई 2013 को हुए अंत्योदय मेले मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 साल कार्य करने वाले अतिथिशिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाने की घोषणा की थी पर इसे लागू नहीं किया।
2 म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने कुछ समय पूर्व बुधनी दौरे पर अतिथिशिक्षकों को विभागीय परीक्षा देने की बात की थी पर अभी तक उस परीक्षा का पता नही है।
3 भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जी ने भी अतिथिशिक्षकों को अच्छी खबर मिलने का बयान दिया था पर उस खबर का अब तक पता नही है।
4 विपक्ष मे रहते 2018-19 मे म.प्र के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी एवं वर्तमान गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा जी अतिथिशिक्षकों के आंदोलन स्थल पर गए थे व उनकी मॉंगो का समर्थन किया था परंतु सत्ता मे आते ही अब ये अतिथिशिक्षकों पर मौन है।
कांग्रेस की अतिथिशिक्षकों के लिए घोषणाएं –
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2018 मे अतिथिशिक्षकों को 90 दिन मे नियमितिकरण का वचन दिया था जो उनके घोषणापत्र मे भी शामिल था कमलनाथ जी, दिग्विजय सिंह जी, तत्कालीन कांग्रेस नेता व वर्तमान मे भाजपा सरकार मे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने भी सरकार बनने पर सरस्वती को सम्मान देने की बात मंच से की थी।
दिग्विजय सिंह जी ने अतिथिशिक्षक नियमितिकरण की जिम्मेदारी ली थी उन्होनें शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को इनके नियमितिकरण के संबंध मे ट्विट भी किया था और शिक्षक सम्मान समारोह मे भी इस विषय पर घोषणा करने को कहा था परंतु कमलनाथ जी ने कहा वचन दिया है घोषणा क्या करना ये कहकर उन्होने इस मुद्दे को टाल दिया। अतिथिशिक्षकों के कांग्रेस सरकार मे हुए आंदोलन मे वरिष्ठ मंत्री पी.सी शर्मा जी ने भी अतिथिशिक्षकों को नियमितिकरण का भरोसा दिया था और आंदोलन खत्म करवा दिया था परंतु अब वे भी इस मुद्दे पर मुखर नही है। भाजपा की सरकार बनते ही कमलनाथ जी, दिग्विजय सिंह जी इस मुद्दे को भूल चुके है।
भाजपा सरकार ने अतिथिशिक्षकों को क्या दिया ?-
भाजपा सरकार ने वर्ग 1 व 2 शिक्षक पदों पर होने वाली भर्ती परीक्षा मे अतिथिशिक्षकों के लिए 25% आरक्षण दिया ये आरक्षण भी 3 सत्र मे 200 दिन कार्य करने वाले अतिथि शिक्षकों को मिला इससे भी पुराने अतिथि शिक्षकों की उपेक्षा हुई। कांग्रेस ने भी इसी को जारी रखा व परीक्षायें करवायी परंतु वर्ग 2 मे सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, हिंदी विषय के इतने कम पद है कि इसका कोई औचित्य नहीं है इसके विपरीत अगर उत्तरप्रदेश के शिक्षामित्रों की भांति अतिथिशिक्षकों को 2.5 अंक प्रतिवर्ष अधिकतम 10 वर्षों तक देने वाली प्रक्रिया अपनायी जाती तो ज्यादा लाभकारी होती क्योंकि म.प्र मे अति अल्प मानदेय पर इस मँहगाई मे गॉंवो मे सेवा देने वाले अतिथिशिक्षक अपना आधा मानदेय तो वाहनों से आने जाने मे खर्च कर देते है और अगर किसी माह घर का बिजली बिल, दूध का पैसा, राशन, दवा, गैस का हिसाब लगाये तो इनको मिलने वाला दो माह का मानदेय भी कम पड़ जायेगा।
कांग्रेस ने अतिथिशिक्षकों को क्या दिया ?-
कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र तो अतिथिशिक्षकों के नियमितिकरण के वचन का था पर कांग्रेस पार्टी की सरकार उनके मंत्री 15 माह तक सिर्फ बजट का रोना रोते रहे और अतिथिशिक्षकों को न नियमितिकरण दे सके, न स्थायी शिक्षक भर्ती मे बोनस अंक दे सके, न मानदेय बढ़ा सके, सिर्फ दे पाये तो सत्र 2018-19 मे 72 दिन कार्य करने वाले अतिथिशिक्षकों को अतिथिशिक्षक बनने के लिए 25 बोनस अंक जो उनके अतिथिशिक्षक स्कोर कार्ड मे एड हो गए इससे पुराने अतिथि शिक्षक नुकसान मे रहे जो 2006-07 से 2016-17 तक तो सेवा मे रहे पर आनलाइन प्रक्रिया मे बाहर हो गए और 2018-19 मे सेवा मे नही रहे उनको ये 25 अंक न मिलने से बाहर ही होना पड़ा उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर गया और वे बेरोजगार हो गए इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस के पास भी उनके लिए कोई योजना नहीं थी न ही उनके लिए कुछ करने की इच्छा।
कांग्रेस सरकार गिरने का कारण बना अतिथिशिक्षक मुद्दा –
कांग्रेस सरकार मे अतिथिशिक्षक नियमितिकरण के मुद्दे पर समर्थन देने वाले और उनके मुद्दे के हल के लिए उनके साथ सड़क पर उतरने वाला बयान ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने दिया था इसी पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने उनसे सड़क पर उतरने को कहा था जिससे वे कांग्रेस छोड़ भाजपा मे आ गए व अब केंद्र मे मंत्री है परंतु अब वे इस मुद्दे को भूल चुके है हालांकि सरकार गिरने का कारण उस समय ये ही मुद्दा बना था।
कौन है म.प्र का अतिथिशिक्षक ?-
म.प्र मे रिक्त शिक्षक पद होने पर किसी विधालय के स्थायी शिक्षक के अवकाश पर जाने या प्रशिक्षण पर जाने पर विधालय मे अतिथिशिक्षक नियुक्त किए जाते है परंतु भाजपा ने इस व्यवस्था को 2006-07 मे शुरू किया था और अभी 2022 तक ये परंपरा जारी है।
2011 के बाद से 9 वर्षो तक म.प्र मे शिक्षक भर्ती नहीं की गयी थी अति अल्प मानदेय पर अतिथिशिक्षक ही प्रदेश के विधालयों मे स्थायी शिक्षकों का शोषण झेलत हुए, सारे शासकीय एवं कार्यालयीन कार्यों का निर्वहन कर रहे है व पूरा समय विधालयों मे दे रहे है निदानात्मक कक्षाओं का संचालन भी विभागीय आदेश पर करते है। ये काम कई स्थायी शिक्षक 80-90000 मिलने पर भी प्रसन्नता से नही कर पाते है और सरकार उन पर मेहरबान है।
लगभग 100 अतिथिशिक्षक काल कवलित हो चुके है इनको स्थायी शिक्षक आने पर वर्षों सेवा देने के बाद हटा दिया जाता है लगभग 9-10 माह कार्य लिया जाता है अवकाश का वेतन नही मिलता कई अतिथिशिक्षक गरीबी के चलते भी आत्महत्या कर लेते है क्योंकि उनका अति अल्प मानदेय है जिस पर वे वर्षों से सेवा देते रहे कोई आर्थिक विकास या आधार न बना सके परिवार की जिम्मेदारी भी होती है कई 10-12 वर्षों से नियमित सेवा देते देते अधेड़ हो चुके है ऐसे मे उनकी सरकार द्वारा निरंतर उपेक्षा व बेरोजगारी असुरक्षित भविष्य के चलते वे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है।
म.प्र मे शिक्षक भर्ती का वर्षो लंबित रहने से हजारों अतिथिशिक्षक जो 38-40 साल की उम्र से ज्यादा के हो गए है वे निरंतर सेवा मे लगे रहे भाजपा और कांग्रेस की झूठी घोषणाओं मे भविष्य तलाशते रहे व अब तक बर्बाद है।
अतिथिशिक्षकों की परेशानी का हल क्या है –
अन्य राज्य छत्तीसगढ़, बिहार, दिल्ली, राजस्थान की तरह उनके लिए कल्याणकारी नीति म.प्र मे अब तक नही बनी न ही उतना अच्छा मानदेय दिया गया जिससे इनकी हालत सारे देश मे सबसे खराब है म.प्र मे भी अतिथिशिक्षकों के लिए इन राज्यो जैसी नीति बनायी जानी चाहिए म.प्र मे अभी तक प्राथमिक शिक्षक भर्ती मे 25% आरक्षण लागू नही हुआ है इसके विपरीत अतिथिशिक्षकों को 2.5 अंक प्रतिवर्ष अधिकतम 10 वर्ष तक की सेवा के देना चाहिए इससे वर्षो से सेवा दे रहे डी.एड, बी.एड अनुभवी व्यापम परीक्षा उत्तीर्ण अतिथिशिक्षक प्राथमिक शिक्षक तो बन पायेंगे तत्काल 51000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती इसी वर्ष सरकार को करना चाहिए ताकि वर्षो से पीडि़त बेरोजगारों का भविष्य सुधर सके क्योंकि 2018 मे भाजपा सरकार के राजपत्र मे ही प्राथमिक विधालयों मे 125000 रिक्त पद बताये गए थे।
सरकार चाहे तो डी.एड, बी.एड 8-10 साल से सेवा दे रहे पीईबी पास अतिथिशिक्षकों को वरिष्ठता के आधार पर नियमित भी कर सकती है या अभी मानदेय दुगुना करके पीईबी पास डीएड. बीएड अतिथिशिक्षक का 12 माह का सेवा काल 62 वर्ष की उम्र तक भी कर सकती है ।
शिक्षक दिवस पर सीएम शिवराज बढ़ा सकते है मानदेय-
जैसा कि विदित है म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने अतिथिशिक्षकों का मानदेय शैक्षणिक सत्र 2022-23 मे बढ़ाने का बयान दिया था इसके साथ ही पूर्व से कार्यरत अतिथिशिक्षकों को पुन: उसी शाला मे सेवा का मौका देने की बात भी की थी जिसके आदेश इस सत्र मे स्पष्ट रूप से निकाले गए है जिससे विगत सत्र मे कार्यरत अतिथिशिक्षक स्थायी शिक्षक पद रिक्त रहने पर इस वर्ष भी उसी विधालय मे सेवा दे पा रहे है। अभी गुप्त सूत्रों से ये जानकारी भी मिल रही है कि सीएम शिवराज अतिथिशिक्षकों का मानदेय बढ़ाने की घोषणा शिक्षक दिवस पर कर सकते है। अतिथिशिक्षकों को अभी अल्प मानदेय मिल रहा है अतिथिशिक्षकों द्वारा भी लंंबे समय से सम्मान जनक मानदेय देने की मॉंग की जा रही है, जहॉं पूर्व से कार्यरत अतिथिशिक्षक को मौका देने के स्पष्ट आदेश स्कूल शिक्षा विभाग से आ चुके है और पूर्व से कार्यरत अतिथिशिक्षक पुन: उसी विधालय मे नियुक्त हो चुके है एम.ए अंग्रेजी व संस्कृत के अतिथिशिक्षकों के स्कोर कार्ड मे भी सुधार कर उनको पैनल 2 मे मौका दिया गया है। इससे प्रतीत होता है कि शीघ्र ही बढ़े हुए मानदेय का आदेश भी विभाग से आ सकता है यदि सरकार इस पर गंभीर हो। ✒ पत्र लेखक अभय गुप्ता
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