भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 80 हजार शिक्षकों के पद खाली थे। उच्च माध्यमिक व माध्यमिक शिक्षकों के करीब 20 हजार पदों पर भर्ती होने के बाद भी 60 हजार पद खाली रह गए। हालांकि पात्र अभ्यर्थी इतने कम पदों पर की गई भर्ती से संतुष्ट नहीं हैं और चार साल से पदवृद्धि की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन शासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
प्रदेश में चार साल तक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चली, लेकिन शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पाई। 2018 में भाजपा सरकार ने मप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 व वर्ग-2 का आयोजन किया। वहीं, कांग्रेस की सरकार ने भर्ती के लिए अगस्त व अक्टूबर 2019 में परीक्षा परिणाम घोषित किया। इसमें 40 हजार शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी,लेकिन विभाग ने साढ़े 20 हजार पद ही स्वीकृत किए और यह प्रक्रिया चार साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई।
शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने निर्देश दिए
स्कूल शिक्षा विभाग के सात हजार 429 और जनजातीय कार्य विभाग के 11 हजार 98, इस प्रकार कुल 18 हजार 527 पदों पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस सत्र के अंत तक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती कर ली जाएगी।
शिक्षक पात्रता संघ के अभ्यर्थियों ने शनिवार को डीपीआइ आयुक्त को पद वृद्धि की मांग करते हुए ज्ञापन दिया। संघ के रंजीत गौर ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग पद वृद्धि करते हुए उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक के साथ द्वितीय काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं। साथ ही प्राथमिक शिक्षक के 51 हजार पदों पर भर्ती की मांग कर रहे हैं।