यह मामला जबलपुर के ग्राम इंद्राना मझौली स्थित श्री राम-जानकी मंदिर से जुड़ा है। इंद्राना मझौली निवासी प्रशांत जैन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए जानकारी दी कि श्रीराम-जानकी मंदिर प्राचीन होने के साथ साथ ग्रामीणों की आस्था का केन्द्र है। मंदिर में ग्रामीणजन पीढ़ी दर पीढ़ी पूजन-अर्चन करते हुए आ रहे है। उक्त मंदिर शुरु से ही राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, जिसके भू स्वामी के रुप में श्रीराम-जानकी का ही नाम दर्ज है। इसके अलावा कलेक्टर का नाम प्रबंधक के रुप में दर्ज है।
कलेक्टर ही मंदिर से जुड़ी कृषि भूमि की देखरेख के लिए अधिकृत है। इस बार सिहोरा SDM के समक्ष चित्रकूट के रामचरण दास महंत ने अपना नाम कलेक्टर के स्थान पर दर्ज करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। जिस पर बिना आपत्ति किए राज्य शासन का पक्ष सुने बिना ही एक पक्षीय तरीके के साथ मंदिर महंत के नाम दर्ज कर दिया गया।
याचिकाकर्ता प्रशांत जैन की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने हाईकोर्ट को बताया कि यह रवैया एमपी राजस्व संहिता 1959 की धारा 110 में विहित प्रावधानों का उल्लघंन है। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व कलेक्टर जबलपुर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है।