भोपाल। मध्यप्रदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ और मध्यप्रदेश मजदूर संघ ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है। दावा किया है कि डेढ़ लाख से ज्यादा संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी सहायिका दिनांक 30 सितंबर को प्रदर्शन करेंगी।
अप्रैल से वेतन नहीं मिला, पानी सर से ऊपर निकल गया है
मध्यप्रदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ की प्रदेश महामंत्री संगीता श्रीवास्तव और मध्यप्रदेश मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि अब पानी सिर से ऊपर उठ गया है। अप्रैल मई से वेतन नहीं मिल रहा है। जो मिल रहा है वह भी टुकड़ों में दे रहे हैं। ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया है। हम 30 सितंबर को सड़कों पर उतरेंगे। अगर फिर भी सरकार ने 15 दिनों के अंदर हमारी मांगें नहीं मानी तो हम उग्र प्रदर्शन करेंगे।
मध्य प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की मांग
- मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शासकीय कर्मचारी घोषित करते हुए सभी शासकीय सुविधाओं का लाभ प्रदान किया जाए।
- सरकार के द्वारा 500 रुपए एरियर्स के साथ भुगतान किया जाए। राज्य सरकार को केन्द्र सरकार से समन्वय कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया के नियमों में संशोधन करते हुए मानदेय या मानसेवा की जगह नियमित और सीधी भर्ती की जाने की नियमावली बनाई जाए।
- जब तक नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन नहीं किया जाता है तब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय अतिरिक्त मानदेय में केन्द्र से निर्धारित गाईड लागू कर भुगतान किया जाए। कम से कम 10000/9000 रुपए कार्यकर्ता/सहायिका को भुगतान किया जाए।
- सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विभाग की ओर से से कम 5 लाख रुपए का स्वस्थ्य बीमा कराया जाए एवं सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं एवं मिनी कार्यकर्ताओं को आयुष्मान योजना की पात्रता में शामिल किया जाए।
- महिला बाल विकास की अतिरिक्त किसी भी अन्य कार्य में डियूटी न लगाई जाए, जिसमें कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्णरूप से कर सके। जिससे जीवन से जुड़ी अत्यंत महत्वपूर्ण सेवाएं प्रभावित न हो और हर गर्भवती, शिशुवती और बच्चों की सही देखरेख हो और देश को एक स्वस्थ्य और आदर्श नागरिक प्राप्त हो सके।
- महिला एवं बाल विकास विभाग से प्रत्येक पद में प्राप्त राशि और पोषण, खेल, स्वास्थ्य संबंधित सभी सामग्री उनके केन्द्रों पर समय-सीमा में उपलब्ध कराई जाए और विभागीय ऐप पोषण ट्रेकर और संपर्क एप को मर्ज करके एक ही ऐप से कार्य कराया जाए।
- आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए ज्यादा से ज्यादा भवन उपलब्ध कराए जाए और जो भवन किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। उनका किराया वर्तमान स्थिति के आधार पर बढ़ाकर प्रदान किया जाए।
- अन्य विभागों की भांति महिला एवं बालविकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी एक-एक करके कम से कम 15 दिवस का ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रदान किया जाए।
- 10 वर्ष के अनुभव शिक्षा और वरिष्ठता के आधार पर पर्यवेक्षक पद पर बिना किसी परीक्षा के सीधी भर्ती की जाए। मध्यप्रदेश के बाहर के आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएं। उत्तरप्रदेश में यह प्रक्रिया है।
- 10 मिनी आंगनबाडी केन्द्रों को पूर्ण केन्द्र बनाया जाए और सहायिका की नियुक्ति के उपरांत ही नए केन्द्रों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो और मिनी केन्द्रों को स्वीकृत न करते हुए पूर्ण केन्द्र ही संचालित कराए जाएं।
- 11 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका बहनें जब तक शासकीय कर्मचारी घोषित नहीं की जाती है, तब तक उनका रिटारमेंट नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनके जीवन यापन का यही एकमात्र साधन है।
- जिनको रिटायरमेंट दिया जा रहा है, तो उन सभी को 2018 अप्रैल से मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई राशि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं, मिनि सहायिकाओं की सेवा निवृत्ति पर उन्हें क्रमश: 1 लाख, 75-75 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाए।