भोपाल। मध्य प्रदेश के 70,000 से अधिक कार्यरत और लगभग दो लाख बेरोजगार लेकिन अनुभवी अतिथि शिक्षकों के लिए बुरी खबर है। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार उनके बेहतर भविष्य के लिए किसी भी प्रकार की नई नीति पर काम नहीं कर रही है। यह जानकारी स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार द्वारा विधानसभा में दी गई।
विधानसभा में जो प्रश्न पूछा गया कि अतिथि शिक्षकों के लिए सरकार की क्या नीति है और क्या नीति बनाई गई है जिस पर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने जवाब दिया अतिथि शिक्षकों के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है। उन्होंने दावा किया है कि अन्य किसी राज्य में भी अतिथि शिक्षकों के लिए कोई बेहतर नीति नहीं बनाई जा रही। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में वर्तमान नीति के अनुसार ही अतिथि शिक्षकों से काम लिया जाएगा।
अतिथि शिक्षक इमरान गोरी का कहना है कि क्या अतिथि शिक्षक, शिक्षक नहीं है। अतिथि शिक्षकों का सम्मान नहीं है। क्या अतिथि शिक्षक इतने कम मानदेय पर अपने घर का पालन पोषण कर सकते है। जबकि दूसरी ओर आदिम जाति कल्याण विभाग जनजाति विभाग के के मंत्री मीना सिंह ने जनजाति विभाग को अतिथि शिक्षकों का मानदेय दुगना और गुरुजी की तरह अतिथि शिक्षक का भविष्य सुरक्षित करने हेतु जनजाति विभाग के आयुक्त को निर्देशित किया है परंतु शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार ने अतिथि शिक्षक स्कूलों में कार्य कर रहे उनके हितों के लिए अभी तक कुछ नहीं किया।