आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सभी कार्यरत व्यवसायिक शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी जिसे हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया। हाई कोर्ट ने सभी व्यवसायिक शिक्षकों को वापस सेवा में लेने के निर्देश दिए, लेकिन लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारी मनमाने नियम लागू करके व्यवसायिक शिक्षकों को अपात्र घोषित कर रहे हैं।
सरिता मालवीय, अब्दुल वारिश, रामेश्वर, ओमकार, इंतेयाज़, शबाना परवीन, मीणा यादव, रजनी पटेल, मीनाक्षी पारे, प्रतुल, शालू, आशा मालवीय, प्रीती चतुर्वेदी, गणेश कुमार, रिषभ, नरेश, आजाद हज़ारी, लालजी बैस, दीपा, प्रवेश, आयुष मिश्रा, मयंक श्रीवास्तव, सोनम, कुलदीप तिवारी, राहुल शर्मा, कृष्णकांत परमार, विश्वजीत सिंह, मनोज राहंगडाले, सत्येंद्र डहेरिया, जितेंद्र, हीरेन्द्र पारधी, अनिल, सुनील, सक्षम लखेरा, चंद्र शेखर, दीपक, योगेश, रोहित पवार, अशोक ठाकुर, सुबोध राजपूत, आकांशा पांडे, अभिषेक परिहार, नैना, रवि शंकर, शैलेन्द्र चौरसिया विभिन्न जिलो में व्यवसायिक शिक्षक के रूप में वर्ष 2017, 2019 एवं उसके बाद से कार्य कर रहे हैं।
आदेश दिनाँक 17/07/21 जारी कर आयुक्त लोक शिक्षण ने पूर्व से कार्यरत व्यवसायिक शिक्षकों के स्थान पर नवीन व्यवसायिक शिक्षक भर्ती की योजना को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट के आदेश के बाद, शासन ने भर्ती योजना को निरस्त कर, पूर्व से कार्यरत व्यवसायिक शिक्षकों के दस्तावेज योग्यता के आधार पर सत्यापन कर नियुक्ति देने का निर्णय लिया।
डाक्यूमेंट्स अनुवीक्षण के समय अनुभव की कमी के आधार पर व्यवसायिक शिक्षकों को नियुक्ति हेतु अपात्र किया जा रहा था। पीड़ित होकर उनके द्वारा उच्च न्यायालय, जबलपुर की शरण ली गई थी। उनकी ओर से वकील, श्री अमित चतुर्वेदी ने कोर्ट के समक्ष तर्क रखे कि, सत्यापन दिनांक को याचिकाकर्ता के पास एक वर्ष शैक्षणिक अनुभव था।
व्यावसायिक शिक्षकों को अपात्र किया जाना, शासन के द्वारा कोर्ट के समक्ष दिए गए हलफनामा के विरुद्ध है। अतः व्यवसायिक शिक्षकों को सेवा से पृथक करने पर रोक लगाई जाए। उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्कों से सहमत होकर, याचिका में शामिल व्यवसायिक शिक्षकों के सेवा से पृथक करने पर रोक लगाते हुए, शासन को तलब किया है।