मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। गरिमा भदोरिया विरुद्ध मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी अपने निजी वाहन से घर से ऑफिस के लिए निकला है तो उसे ऑन ड्यूटी नहीं माना जाएगा। ऐसी स्थिति में यदि वह किसी हादसे का शिकार हो जाता है तो उसके आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के अधिकारी नहीं होंगे।
गाेवर्धन कालोनी निवासी गरिमा भदौरिया ने 2017 में बिजली कंपनी में अपने पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। गरिमा की मां ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए बिजली कंपनी में आवेदन किया था, लेकिन उनकी मां के पास पद के अनुसार योग्यता नहीं थी। इसके चलते उन्हें अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकी। मां का आवेदन खारिज होने के बाद बेटी गरिमा ने 2016 में आवेदन किया, जिसे बिजली कंपनी ने खारिज कर दिया।
जब बिजली कंपनी ने उन्हें अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी, तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में तर्क दिया गया कि उनके पिता की मृत्यु 24 अगस्त 2010 को सड़क दुर्घटना में हुई थी। यह दुर्घटना आफिस जाते समय हुई थी। पिता की रात 12 बजे से रोशनी घर में ड्यूटी शुरू होनी थी। जब घर से आफिस के लिए निकले तो रात 11:30 बजे सड़क हादसे में मौत हो गई। ड्यूटी पर जाते समय दुर्घटना हुई है इसलिए वह अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है।
बिजली कंपनी ने इसका विरोध किया और बताया कि गरिमा के पिता की आन ड्यूटी मौत नहीं हुई है। उनकी ड्यूटी रात 12:00 बजे से शुरू होती है जबकि एक्सीडेंट रात 11:30 बजे हुआ। सात सितंबर को इस याचिका पर बहस हो गई थी।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी अपने निजी वाहन से ऑफिस जा रहा है और रास्ते में उसकी दुर्घटना में मौत हो जाती है, तो इसे कार्यस्थल दुर्घटना नहीं मानी जाएगी। इसलिए मृतक के स्वजन को अनुकंपा नियुक्ति का हक नहीं है। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस आदेश को रिपोर्टेबल किया है यानी कानून की किताब में प्रकाशित किया जाएगा।