राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की अनुमति के बाद राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने डिफेंस काउंसिल की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके तहत ना केवल वकीलों को फुल टाइम नियुक्ति दी जाएगी बल्कि अभियोजन कार्यालय की तरह पूरा स्टाफ नियुक्त किया जाएगा।
जिला न्यायालयों में मुख्य डिफेंस काउंसिल, उप डिफेंस काउंसिल के पद होंगे। डिफेंस काउंसिल सिस्टम का सबसे ज्यादा लाभ वंचित व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलेगा। फिलहाल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, स्त्री, बालक, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, विकलांग, औद्योगिक कर्मकार या ऐसा व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय ₹2,00,000 से कम है, उसके खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज होने पर विधिक सेवा प्राधिकरण उसकी तरफ से कोर्ट में पक्ष रखने के लिए निशुल्क वकील उपलब्ध करवाता है।
इसके लिए वकीलों की पैनल बनाई जाती है। पैनल में शामिल वकीलों को हर केस का 2 से ₹2500 तक भुगतान किया जाता है। पैनल में शामिल वकीलों को निजी प्रैक्टिस की अनुमति भी होती है। परंतु इसके चलते जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सौंपे गए मामलों पर यह वकील अपना पूरा ध्यान नहीं दे पाते और इसका सीधा नुकसान पक्षकार को होता है।
परन्तु अब नई व्यवस्था के चलते डिफेंस काउंसिल के रूप में नियुक्त वकील को एक ही काम करना पड़ेगा। अब। इन एडवोकेट्स को निजी प्रैक्टिस की अनुमति नहीं होगी। इससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने में आसानी हो। इसके लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की अनुमति के बाद राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण डिफेंस काउंसिल की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी गई। पहले चरण में यह प्रक्रिया मध्य प्रदेश के 19 जिलों में लागू की जाना है।
अभियोजन अधिकारी के समान ही विधिक सेवा प्राधिकरण के डिफेंस काउंसिल के लिए अलग से कार्यालय की व्यवस्था की जाएगी जिसमें उन्हें ऑफिस सहायक, क्लर्क, टाइपिस्ट, मुंशी व अन्य कर्मचारियों की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। डिफेंस काउंसिल की नियुक्ति दो वर्षों के लिए होगी। इस दौरान ये वकील निजी प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। राज्य में डिफेंस काउंसिल सिस्टम अलग -अलग चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में मध्य प्रदेश के 19 जिलों में लागू किया जाना है। डिफेंस काउंसिल की सुविधा केवल आपराधिक मामलों में ही मिलेगी।
मुख्य डिफेंस काउंसिल के लिए आपराधिक प्रकरण में पैरवी का न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव जरूरी है। साथ ही सत्र न्यायालय में कम से कम 30 प्रकरण में पैरवी करना अनिवार्य है। जबकि उप डिफेंस काउंसिल के लिए आपराधिक प्रकरण में पैरवी का अनुभव न्यूनतम 07 वर्ष होना आवश्यक है। जबकि सत्र न्यायालय में कम से कम 20 वर्ष प्रकरण मैं पैरवी ज़रूरी है। सहायक डिफेंस काउंसिल के लिए आपराधिक प्रकरण में 1 से 3 वर्ष तक का अनुभव होना आवश्यक है।