● राष्ट्रीय बिजली नीति (एनईपी) 2018 के मुकाबले एनईपी 2022 में सौर ऊर्जा लक्ष्यों में उल्लेखनीय वृद्धि की बात कही गई है एनईपी 2018 के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2027 तक देश में 150 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित होनी थी। प्रस्तावित एनईपी 2022 में वर्ष 2027 तक स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में 24% की वृद्धि करते हुए इसे 186 गीगावाॅट कर दिया गया है।
● एनईपी 2018 के मुताबिक वर्ष 2027 तक 100 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया था। प्रस्तावित एनईपी2022 में इस लक्ष्य को 20% कम करके 80 गीगावॉट कर दिया गया है।
● एनईपी2022 के मसविदे में 2031-32 के लिए सौर और पवन ऊर्जा के लक्ष्य क्रमश: 333 गीगावॉट और 133 गीगावॉट होने का अनुमान है। सीईए की इष्टतम उत्पादन क्षमता मिश्रण 2029-2030 (ओजीसी) रिपोर्ट के 2029-2030 अनुमानों की तुलना में यह सौर ऊर्जा के मामले में 18% की वृद्धि और पवन ऊर्जा के मामले में 5% की कमी है।
● एनईपी2022 के मसविदे में ओजीसी रिपोर्ट में अनुमानित 4 घंटे की स्टोरेज वाली 27 किलो वाट बैटरी स्टोरेज में वृद्धि होगी और यह 2031-32 तक 5 घंटे में 51 गीगावॉट स्टोरेज हो जाएगी।
● एनईपी2022 के नए ड्राफ्ट में वर्ष 2020 की ओजीसी रिपोर्ट के मुकाबले कोयला बिजली उत्पादन क्षमता में वर्ष 2030 तक करीब 18 गीगावॉट की गिरावट की बात कही गई है। नए मसविदे में वर्ष 2018 में जारी एनईपी के मुकाबले वर्ष 2027 के अनुमानों में करीब एक गीगावाॅट स्थापित कोयला बिजली क्षमता का सुधार किया गया है।
● एनईपी2022 के नए मसविदे के मुताबिक 25 गीगावॉट की निर्माणाधीन कोयला आधारित बिजली क्षमता के अलावा वर्ष 2031-32 तक 17 से 28 गीगावाॅट के करीब कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता की जरूरत पड़ेगी।
● कुल उत्पादित बिजली मिश्रण में कोयले से बनने वाली बिजली का योगदान आज के 70% से घटकर 2026-2027 तक 59% और 2031-2032 तक 50% होने की उम्मीद है।
● एनईपी2022 के नए मसविदे में वर्ष 2027 के लिए पीक डिमांड को सुधार कर 298.7 गीगावॉट से 270 गीगावॉट कर दिया गया है। यह गिरावट सीईए की पूर्व में आई रिपोर्टों के अनुरूप और सामान्य है। वर्ष 2030 में 2031-32 के लिए अखिल भारतीय स्तर पर सिर्फ मांग के 363 गीगावॉट के करीब पहुंच जाने का अनुमान है। यह ओजीसी रिपोर्ट में अनुमानित मात्रा से करीब 9% ज्यादा है।
● एनईपी2022 के नए मसविदे के तहत वर्ष 2022 से 2027 के बीच 4629 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले बिजली संयंत्रों का इस्तेमाल बंद करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें एफजीडी इंस्टॉलेशन की योजनाओं के अभाव के कारण कोयला आधारित विद्युत ऊर्जा क्षमता को तिलांजलि दिया जाना भी शामिल है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2027 से 2032 के बीच किसी भी कोयला या गैस आधारित बिजली घर को बंद करने पर विचार नहीं किया गया है।
यह ओजीसी द्वारा प्रस्तावित दर के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम रिटायरमेंट दर है।ओजीसी ने वर्ष 2022 से 2030 के बीच कुल 25252 मेगा वाट उत्पादन क्षमता वाली कोयला आधारित बिजली इकाइयों से छुटकारा पाने की बात कही थी। वर्ष 2017 से 2022 के बीच कुल 10044.295 मेगावाट कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता को रिटायर किया गया है।