RGPV NEWS- नया अध्यादेश जारी, 160 कॉलेजों के स्टूडेंट्स को फायदा होगा

भोपाल
। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक अध्यादेश जारी किया गया है। इसके अंतर्गत इंजीनियरिंग के बीटेक कोर्स में मल्टीपल एंट्री-एग्जिट के नियम घोषित कर दिए गए हैं। यह नियम स्टूडेंट को स्वतंत्रता देता है कि वह अपना डिग्री कोर्स जब चाहे तब पूरा कर सकता है। वह बीच में ब्रेक ले सकता है। 

मल्टीपल एंट्री-एग्जिट के अनुसार एक वर्ष की पढ़ाई पूरी कर छोड़कर जाने वाले विद्यार्थी को सर्टिफिकेट, दो वर्ष पर डिप्लोमा, तीन वर्ष पर बी वोकेशनल एवं चार वर्ष की पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थी को विश्वविद्यालय स्नातक की डिग्री देगा। यानी यदि किसी कारणवश विद्यार्थी को बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ती है तो उसके साल खराब नहीं होंगे। उसकी मार्कशीट किसी न किसी काम आएगी।

मल्टीपल एंट्री एग्जिट के अनुसार दूसरा फायदा यह है कि यदि कोई स्टूडेंट किसी कारण से पढ़ाई छोड़ कर चला जाता है और फिर परिस्थितियां ठीक होने के बाद फिर से पढ़ाई शुरू करना चाहता है तो कर सकता है। 5 साल के भीतर वह फिर से एडमिशन ले सकता है और अपना बचा हुआ कोर्स पूरा कर सकता है। प्रावधान किया गया है कि सभी कक्षाओं में 10% सीट कम बैक करने वाले स्टूडेंट्स के लिए रिजर्व रहेंगी।

RGPV मल्टीपल एंट्री एग्जिट प्रावधान को एकेडमिक काउंसलिंग की मंजूरी मिल गई है। अब यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद में इसे फाइनल अप्रूवल के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। कार्य परिषद से पास होने के बाद इसे आरजीपीवी से संबंधित 160 इंजीनियरिंग कॉलेजों में लागू कर दिया जाएगा। 

फर्स्ट ईयर के बाद एग्जिट करने वालों के लिए ब्रिज कोर्स

इस नए प्रविधान में यह भी उल्लेख है कि एक वर्ष की पढ़ाई पूरा कर बाहर होने वाले विद्यार्थी को दस क्रेडिट का ब्रिज कोर्स करना होगा, जिसमें छह क्रेडिट जाब इंटर्नशिप या अप्रेंटिसशिप के होना जरूरी होंगे। ऐसे विद्यार्थियों को संबंधित बोर्ड आफ स्टडीज द्वारा तय किसी विषय के पाठ्यक्रम में ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा।

RGPV में इंटर्नशिप के प्रावधान बदले

इंटर्नशिप के लिए अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि चौथे वर्ष में यदि किसी विद्यार्थी को जाब इंटर्नशिप किसी कंपनी द्वारा प्रदान की जाती है, तो ऐसी स्थिति में विद्यार्थी अपने चौथे वर्ष के पाठ्यक्रम को स्वयं पोर्टल पर पढ़ाई कर क्रेडिट अर्जित करने की पात्रता होगी। ऐसे विद्यार्थी को इंटर्नशिप कराने वाले संस्थान से गाइड लेना आवश्यक होगा। साथ ही यह अनिवार्य होगा कि उनके मेजर प्रोजेक्ट का टापिक इंटर्नशिप से संबंधित हो या विद्यार्थी को संबंधित विषय की थीसिस भी संस्था में अनिवार्यत: जमा कराना होगी।

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