सूचना का अधिकार (RTI- Right to Information) कानून में जानकारी लेने के अलावा निरीक्षण और सैंपल लेने का भी अधिकार भी जनता को मिला है। पर राज्य सूचना आयोग के सामने एक अजीबोगरीब मामला आया जिसमें आरटीआई आवेदक ने सरकारी कार्यालय में लगे एसी का निरीक्षण माँग लिया। आइए जानते हैं कि क्या सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक आम नागरिक सरकारी ऑफिस में निरीक्षण कर सकता है और यदि हां तो उसका दायरा क्या होगा।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण में कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया कि पारदर्शी व्यवस्था में निरीक्षण का अधिकार कहां तक उप्लब्ध है। रीवा के एक आरटीआई आवेदक नीरज शुक्ला ने आरटीआई आवेदन दायर कर सिंगरौली के नगर निगम कार्यालय में एसी खरीदी के जानकारी मांगी साथ ही उसने एसी के भौतिक निरीक्षण भी मांगा।
डिप्टी कमिश्नर नगर निगम सिंगरौली, लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई आवेदक को एसी की खरीदी की जानकारी तो दे दी पर एसी के भौतिक निरीक्षण पर उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया। एसी के निरीक्षण के लिए नीरज शुक्ला ने प्रथम अपीलीय अधिकारी नगर निगम आयुक्त के सामने प्रथम अपील की। तो परेशान होकर नीरज ने एसी की निरीक्षण की मांग को आगे रखते हुए राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटा दिया।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के समक्ष द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान आवेदक ने दलील दी कि उन्हें शक है कि जो एसी की खरीदी हुई है उसमें भ्रष्टाचार हुआ है और संबंधित एसी में से कुछ विभाग द्वारा खरीदे ही नहीं गए। इसीलिए वे स्वयं शासकीय कार्यालय में जाकर हर एसी का भौतिक निरीक्षण करना चाहते हैं।
सुनवाई में जब डिप्टी कमिश्नर से राहुल सिंह ने उनका पक्ष जाना तो उन्होंने कहा कि RTI आवेदन के निराकरण के समय निरीक्षण वाले बिंदु पर उनसे चूक हो गई और उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया पर वह वे निरीक्षण के लिए तैयार है जब भी आवेदक आ जाएं वे निरीक्षण करवा देंगे।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 J में सूचना का अधिकार की विवेचना है। इसी धारा की उपधारा (i) के तहत निरीक्षण का अधिकार भी आम जनता को मिला हुआ है। धारा 2 J (i ) में लिखा है कार्य, दस्तावेज, अभिलेखों का निरीक्षण।
इसकी विवेचना करते हुए राहुल सिंह ने यह स्पष्ट किया की एसी या कोई अन्य वस्तु कार्य की परिभाषा में नहीं आती है। सिंह ने कहा कि कार्य का मतलब कोई किया हुआ कार्य है या निर्मित कार्य है। ऐसी स्थिति में आम जनता के पास शासकीय कार्यालय में जाकर एसी के निरीक्षण का अधिकार नहीं है। सिंह ने स्पष्ट किया कि एसी के निरीक्षण का आदेश सूचना आयोग आरटीआई अधिनियम के अधीन नहीं दे सकता है।
राज्य सूचना आयोग ने आवेदक को सलाह दी कि अगर उन्हें शक है कि एसी की खरीदी में भ्रष्टाचार हुए है तो वह आरटीआई के तहत उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कर सकता है और उस एजेंसी के माध्यम से जांच करवा सकता है।