नई दिल्ली। भारत में आपातकाल के दौरान मिसा एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए राजनीतिक कार्यकर्ताओं को मीसाबंदी सम्मान निधि दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। छत्तीसगढ़ की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मीसाबंदी सम्मान निधि पर रोक लगाने के लिए निवेदन किया था।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की भूपेश बघेल सरकार बनने के बाद वर्ष 2019 में नोटिफिकेशन जारी कर मीसा बंदियों की सम्मान निधि पर रोक दी गई थी। इस फैसले के खिलाफ मीसा बंदियों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अलग-अलग 40 याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाकर्ताओं ने भरण पोषण की समस्या का हवाला देते हुए सम्मान निधि को नियमित रखने का निवेदन किया था। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता मीसाबंदी राजनीतिक कार्यकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश दिया था कि वह मीसाबंदी सम्मान निधि का भुगतान जारी रखें।
भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की। चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके व्यास की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार की अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद नियमानुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार का पक्ष सुनने के बाद मीसाबंदी सम्मान निधि के भुगतान पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में मीसाबंदी सम्मान निधि के तौर पर ₹25000 महीने मासिक पेंशन दी जाती थी।