भारत मध्य प्रदेश की राजधानी है और ज्यादातर लोग जानते हैं कि यह ब्रिटिश इंडिया की एक ऐसी रियासत थी जहां नवाबों का शानदार और यादगार शासन था, लेकिन इतिहास बताता है कि भोपाल का पहला नवाब दोस्त मोहम्मद खान सिर्फ नाम का दोस्त था। असल में एक धोखेबाज और क्रूर हत्यारा था।
भोपाल का पहला नवाब मूलतः भाड़े का हत्यारा था
दोस्त मोहम्मद खान एक अफगानी अपराधी था जिसने अपना भी गिरोह बनाया था और राजाओं के इशारे पर ऐसे लोगों की हत्या किया करता था जिन्हें राजा किसी कारण से मृत्युदंड नहीं दे सकते थे। काफी समय तक मुगलों के लिए काम किया लेकिन पोल खुल जाने के बाद मुगल बादशाह से जान बचाकर मालवा की तरफ भागा। यहां बहुत सारे छोटे-छोटे राजा थे। दोस्त खान ने एक भाड़े के हत्यारे के रूप में काम शुरू किया और राजाओं से धन लेकर उनके विरोधियों की हत्या करने का काम करने लगा। इस धन से उसने अपने गिरोह को बड़ा करना शुरू किया। सन 1710 के आसपास उसकी एक छोटी सी सेना बन गई थी।
राजा नरसिंह देवड़ा का सामना नहीं कर पाया था दोस्त खान
अब दोस्त खान, राजा बनने के सपने देख रहा था। उसने 1715 में जगदीशपुर पर हमला कर दिया। जगदीशपुर के राजा नरसिंह देवड़ा (राजपूत प्रमुख नरसिंह राव चौहान) दोस्त खान की सेना पर टूट पड़े। दोस्त खान जान बचाकर भागा और दिल्लोद के बरखेरा के पटेल के यहां जाकर छुप गया। जब राजा नरसिंह देवड़ा को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने बरखेड़ा पटेल को दंडित करने का आदेश दे दिया।
संधि के बहाने जगदीशपुर के राजा को बुलाया, खाने में जहर मिलाया
दोस्त खान ने राजा नरसिंह देवड़ा के पास एक संधि का प्रस्ताव भेजा। राजपूत राजा क्षमा धर्म का पालन करते हैं, इसलिए उन्होंने दोस्त खान का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। पूज्य बाणगंगा नदी (थाल नदी) के किनारे संधि का शामियाना लगाया गया। निर्धारित हुआ था कि दोनों तरफ से 16-16 लोग बिना हथियार के आएंगे, लेकिन दोस्त खान तो एक शातिर अपराधी था। उसने भोजन में नशीले पदार्थ मिला दिया जिससे राजा नर सिंह देवड़ा और उनके 15 नित्य दरबारी बेहोश हो गए।
बेहोश राजपूत राजा को मारने की भी हिम्मत नहीं थी
डरपोक दोस्त खान में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वह बेहोश राजा नरसिंह देवड़ा की हत्या कर सके। उसने शामियाने से बात आसपास छुपे हुए अपने गिरोह के हत्यारों को इशारा किया। उन्होंने राजा नरसिंह देवड़ा और उनके सभी साथियों की बेहोशी की हालत में हत्या कर दी। उनका खून बहते हुए पवित्र बाणगंगा नदी में जाकर मिला। तभी से इस नदी को हलाली नदी के नाम से पुकारा जाने लगा।
क्षमा मांगने के बहाने जगदीशपुर के युवराज को मार डाला
दोस्त खान अपनी सेना के साथ भोपाल की तरफ बढ़ रहा था। इधर राजा नरसिंह देवड़ा के पुत्र को नरसंहार की सूचना मिली। उसने तत्काल मौजूद सैनिकों को साथ लिया और तेजी से पीछा करते हुए भोपाल में प्रवेश से पहले दोस्त खान को घेर लिया। उस पर हमला कर दिया। जगदीशपुर के युवराज, राजपूतों की तरह युद्ध के नियमों का पालन करते हुए लड़ रहे थे जबकि दोस्त खान ने फिर से धोखेबाजी की। क्षमा मांगने के बहाने जगदीशपुर के युवराज के निकट आया और उनकी हत्या कर दी।
भोपाल की लालघाटी- राजपूतों के बलिदान की कहानी सुनाती है
जगदीशपुर के युवराज और उनकी सेना की हत्या के कारण वह घाटी खून से लाल हो गई। तभी से इस घाटी का नाम लालघाटी पुकारा जाने लगा है। आज भी भोपाल शहर में इसे लालघाटी ही कहा जाता है। जहां सन 1715 में स्वराज्य की लड़ाई लड़ी गई। एक अफगान लुटेरे और हत्यारे से मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया गया।
धोखेबाज दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर कब्जा कर लिया और उसका नाम इस्लामनगर रख दिया। भोपाल जिले में आज भी इस्लामनगर मौजूद है और दोस्त खान के चिन्ह मौजूद है। ✒ उपदेश अवस्थी