भोपाल। दीपावली के अवसर पर तो गरीब दुकानदार भी अपने नौकर को नौकरी से नहीं निकालता परंतु मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने दीपावली त्यौहार के अवसर पर लगभग 20000 अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार कर दिया। उनकी जगह नियमित शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है।
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया है कि स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी के तहत 24479 शिक्षकों को उनकी इच्छा के अनुसार स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया गया। डिपार्टमेंट की ट्रांसफर पॉलिसी के तहत केवल उसी स्थान पर शिक्षक का ट्रांसफर किया गया जहां पर पद रिक्त था, अर्थात कोई अतिथि शिक्षक रिक्त पद की पूर्ति कर रहा था। इसके अलावा कुछ म्यूच्यूअल ट्रांसफर भी हुए हैं।
इस प्रकार एक अनुमान के अनुसार लगभग 20000 अतिथि शिक्षकों को सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी के कारण दीपावली के त्यौहार के अवसर पर अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। यह संख्या थोड़ी कम ज्यादा हो सकती है परंतु यदि यह संख्या मात्र 5000 भी है तब भी मामला बहुत गंभीर है। अतः संख्या को लेकर विषय की गंभीरता के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।
यहां उल्लेख करना प्रासंगिक है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं एवं स्वयं शिवराज सिंह चौहान द्वारा अतिथि शिक्षकों को नियमितीकरण का आश्वासन दिया गया था। शिवराज सिंह के बयान पर विश्वास करके अतिथि शिक्षकों ने दूसरी कई भर्ती परीक्षाओं पर ध्यान नहीं दिया।
सब का मानना था कि जो व्यक्ति निर्धन कन्याओं का विवाह कराता है। समाज के बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाता है। वह नेता झूठा नहीं हो सकता। जब उम्मीद टूटे तो कुछ अतिथि शिक्षकों ने आत्महत्या कर ली और कुछ मृत्यु के तुल्य जीवन (एक शिक्षक को यदि मजदूरी करनी पड़े तो इसी मृत्यु के तुल्य जीवन कहते हैं) व्यतीत कर रहे हैं।
चुनावी साल में उम्मीद थी कि सरकार एक भी अतिथि शिक्षक को बेरोजगार नहीं करेगी परंतु ऐसा दीपावली गिफ्ट। 20000 परिवारों के दीपक में से तेल छीन लिया।