निश्चित तौर पर सभी जानते हैं कि भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक नागरिक को कुछ ऐसे अधिकार प्राप्त होते हैं जो उसके अपने अथवा भारत देश के अस्तित्व रहने तक कोई छीन नहीं सकता। यहां तक कि सरकार भी कानून बनाकर आपके उन अधिकारों का हनन नहीं कर सकती, उसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं कर सकती। यदि कोई भी ऐसा करता है तो सुप्रीम कोर्ट आपके अधिकारों की रक्षा करता है। आइए जानते हैं वह छह अधिकार जिन्हें कोई आपसे छीन नहीं सकता:-
भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार-
1. समता (समानता) का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक)।
2. स्वतंत्रता (आजादी) का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक)।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24 तक)।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक)।
5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30 तक)।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)।
यह मूल अधिकार, भारत के संविधान द्वारा भारत के नागरिकों को दिए गए हैं। ग्राम पंचायत से लेकर केंद्र सरकार तक कोई भी सदन किसी भी प्रकार का नियम और कानून बनाकर किसी भी नागरिक के मूल अधिकार का उल्लंघन तो दूर की बात, प्रभावित करने का प्रयास भी नहीं कर सकता। यदि कोई ऐसा करता है तो वह नियम अथवा कानून भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 का अनुच्छेद 13 के तहत पूर्ण एवं प्रारम्भ से ही शून्य (अवैध) माना जाएगा।
नोट:- छः प्रकार के मौलिक अधिकारों को हम सरल भाषा में प्रतिदिन के लेखों में वर्णन करेंगे ताकि भारत के प्रत्येक नागरिक आपने मौलिक अधिकार को ज्ञान सके एवं भारत के संविधान को सरल एवं स्पष्ट भाषा में समझ सके। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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