अक्सर लोग सवाल करते हैं कि भारत के हर राज्य की अपनी एक संस्कृति और सभ्यता है। मध्य प्रदेश की संस्कृति क्या है। ज्यादातर लोग नहीं जानते लेकिन यह गर्व का विषय है कि मध्य प्रदेश एक दो नहीं बल्कि सात संस्कृतियों का संगम है।
मध्य प्रदेश की 7 संस्कृतियों में निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, महाकौशल, ग्वालियर (चंबल), रीवा एवं जनजातीय संस्कृति शामिल है। भारत वर्ष के इतिहास में मध्य प्रदेश की इन 7 संस्कृतियों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। यह भारतवर्ष की वह धरती है जिसने भगवान श्री राम का सत्कार किया, भगवान श्री कृष्ण को शिक्षित किया, पांडवों को आसरा दिया और 5000 साल तक उत्तर भारत के राक्षसों एवं विदेशी हमलावरों से दक्षिण भारत की रक्षा की।
भारतीय संस्कृति में 7 अंक का महत्व
भारतीय संस्कृति में 7 अंक का बड़ा महत्व है। विवाह संस्कार में सात फेरे लिए जाते हैं। वचन भी 7 होते हैं और विवाह को सात जन्मों का बंधन कहा जाता है। केवल भारतीय संस्कृति में विवाह एक संस्कार है, जो जीवन के बाद भी साथ रहता है। शास्त्रों में तलाक का कोई प्रावधान ही नहीं है। भारतीय संस्कृति में संगीत के सात सुर, इंद्रधनुष के सात रंग, सप्त ऋषि, सप्त धातु, सात द्वीप, सात समुद्र और सप्ताह के 7 दिन। मनुष्य के शरीर में ऊर्जा के 7 केंद्र। मोक्ष के लिए 7 आयाम (जप, तप, व्रत, नियम, दान, कर्म एवं स्वाध्याय)। अंक ज्योतिष में 7 को पूर्णांक माना गया है क्योंकि गणित में 7 का अंक अविभाजित है।
इसी प्रकार मध्य प्रदेश की 7 संस्कृतियां अविभाजित हैं। यानी मध्य प्रदेश के नागरिकों को जाति, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता। यही तो मध्य प्रदेश की संस्कृति है। जिसका अनुसंधान भोपाल समाचार डॉट कॉम की टीम ने किया है।