मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का इतिहास काफी समृद्ध और रोचक भी है। इसमें एक्शन, ड्रामा, इमोशन, लव स्टोरी, धोखा और गद्दारी की कहानी भी है। नक्शे पर आज जहां भोपाल दिखाई देता है, पहले यहां इंसानों की आबादी नहीं थी बल्कि पानी भरा हुआ था क्योंकि परमार राजा भोज ने इस पृथ्वी का सबसे बड़ा तालाब बनाया था, जिसे होशंगशाह द्वारा पार तोड़कर सुखा दिया गया।
भोपाल की कहानी महान राजा भोज से शुरू होती है। पंवार वंश के नवें राजा (राजा भोज) ने सन् 1010-1055 ई. तक शासन किया। उन्होंने यहां भोजपुर नदी और कालियासोत नदी के पानी को मिलाकर समुद्र के समान बड़ा तालाब बनाया था। यह तालाब भोजपुर के मंदिर से प्रारंभ होकर लालघाटी तक फैला हुआ था। जिसे मुगल हमलावर होशंगशाह द्वारा पार तोड़कर सुखा दिया गया।
राजा भोज के बाद यह इलाका गिन्नौरगढ़ राज्य के अधीन रहा। इसके राजा निजाम शाह एक बेहद लोकप्रिय राजा थे। इनकी पत्नी रानी कमलापति के सौंदर्य का वर्णन कई इतिहासकार, साहित्यकार और कवियों ने किया है। सन 1720 में राजा निजाम शाह के भतीजे आलम शाह ने सत्ता के लालच में राजा के भोजन में जहर मिला कर उनकी हत्या कर दी। रानी कमलापति अपने बेटे नवल साहब को लेकर गिन्नौरगढ़ से भोपाल स्थित रानी कमलापति महल में आ गई।
गद्दार आलम शाह से बदला लेने के लिए उन्होंने दोस्त मोहम्मद खान नाम के व्यक्ति को बुलाया। इसे दोस्त खान भी कहते हैं। दोस्त खान मूल रूप से अफगानी अपराधी था। वह भारत में मुगल सेना के लिए भाड़े के हत्यारे के रूप में काम करता था। उसने अपना एक बड़ा गिरोह बना लिया था। बाद में मुगलों ने उसे काम देना बंद कर दिया। तब उसने मालवा और आसपास के कई राजाओं के लिए सिक्योरिटी और भाड़े के हत्यारे के रूप में काम किया।
रानी कमलापति ने दोस्त खान को गद्दार भतीजे आलम शाह की हत्या करने के लिए बुलाया था। दोस्त खान ने इस काम के लिए ₹100000 की मांग की। रानी कमलापति के पास इतना धन नहीं था फिर भी उन्होंने यह शर्त स्वीकार कर ली। दोस्त खान ने आलम शाह को मार डाला। इसके बदले में रानी कमलापति ने वर्तमान भोपाल शहर का इलाका दोस्त खान को दे दिया। दोस्त खान ने इलाके की किलेबंदी की और खुद को नवाब घोषित कर दिया।
दोस्त खान के हाथों अपने सम्मान की रक्षा के लिए रानी कमलापति ने अपने महल की छत से तालाब में कूदकर प्राण त्याग दिए थे। बाद में दोस्त खान ने उनके बेटे नवल साहब को भी मार डाला था। इस प्रकार भोपाल की जमीन दोस्त खान के अधिकार में चली गई जिसने खुद को नवाब घोषित किया और उसके परिवार वालों ने अंग्रेजों से संधि करके भोपाल को अंग्रेजों की रियासत घोषित कर दिया।