इतिहास में दर्ज है कि भोपाल राज्य का संस्थापक एक अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खान था। इसकी शान में कसीदे पढ़ने वाले इसे दोस्त खान भी कहते हैं। नाम से ऐसा लगता है जैसे मित्रता के लिए जीवन समर्पित करने वाला एक महान राजा रहा होगा परंतु असल में भोपाल वाले दोस्त मोहम्मद खान का पूरा अस्तित्व ही झूठ और धोखेबाजी पर नजर आता है।
दोस्त मोहम्मद खान भोपाल के पिता कौन थे ?
भोपाल के इतिहास में जिस दोस्त मोहम्मद खान की बात की जाती है। वह कोई राज परिवार से नहीं था और ना ही कभी किसी देश का राजा हुआ। वह मूल रूप से एक गैंगस्टर था। उसने अपना एक गिरोह बनाया था और खुद उसका सरदार बन गया था। अपने आपको अफगानी बताता था। इतिहास में कहीं दर्ज नहीं है कि उसके पिता अथवा उसके पूर्वज कहां पर रहते थे और क्या करते थे। यहां तक कि उनके नाम भी दर्ज नहीं है। उसने शुरुआत में मुगल बादशाहों के लिए काम किया। धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागा और मालवा आ गया।
यहां पर कई छोटे-छोटे राज परिवारों में आपस में तनाव की स्थिति थी। दोस्त मोहम्मद खान ने इसका फायदा उठाया। जैसे आज कल अपराधियों की गैंग किसी की हत्या के लिए सुपारी लेती हैं, ठीक वैसा ही काम दोस्त मोहम्मद खान किया करता था। राज परिवारों के सदस्यों की किलिंग किया करता था। भोपाल की रानी कमलापति ने भी उसे अपने राज्य के गद्दार भतीजे की हत्या के लिए हायर किया था। बदले में उसने भोपाल गांव मांग लिया (उस समय भोपाल एक गांव था और बहुत कम संख्या में यहां कुछ भील और आदिवासी रहा करते थे)।। फिर रानी के इकलौते बेटे की हत्या कर दी और रानी को अपने सम्मान की रक्षा के लिए तालाब में कूदकर प्राण त्यागने पड़े। इसके बाद उसने भोपाल गांव की किलेबंदी की और खुद को भोपाल का नवाब घोषित कर दिया।