चीन में माना जाता है कि सूर्य ग्रहण राजाओं और शासन करने वालों के लिए काफी कष्टकारी होता है। चीन में सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी ना करना गंभीर अपराध माना जाता है। 2 ज्योतिष विशेषज्ञों को फांसी की सजा दे दी गई थी, क्योंकि उन्होंने सूर्य ग्रहण की सटीक भविष्यवाणी नहीं की थी। माना गया कि ऐसा करके उन्होंने अपने सम्राट के जीवन को खतरे में डाल दिया।
चीन के खगोलविदों के रिकॉर्ड में पृथ्वी पर मानव इतिहास का पहला सूर्य ग्रहण दिनांक 22 अक्टूबर 2134 ईसा पूर्व पड़ा था।
बेबीलोन के वैज्ञानिकों का कहना है कि दिनांक 3 मई 1375 ईसा पूर्व पहला सूर्य ग्रहण पड़ा था।
ग्रीक देश के इतिहास में दर्ज है कि 585 ईसा पूर्व एक भयंकर युद्ध (जिसमें युद्ध के सभी नियमों को तोड़ा जा रहा था) में सूर्य ग्रहण के कारण 1 दिन का युद्ध विराम घोषित कर दिया गया था।
खगोल वैज्ञानिक जोहान्स कैपलर ने सन 1609 में पहली बार सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत किया। इससे पहले तक पृथ्वी पर मानव प्रजाति को सूर्य ग्रहण के बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसके कारण लोगों में भय और भ्रांतियां की स्थिति बन जाती थी।
सन 1973 में वैज्ञानिकों ने पहली बार अंतरिक्ष में जाकर सूर्य ग्रहण का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 72 मिनट के भीतर 3000 किलोमीटर की यात्रा की।
सूर्य ग्रहण हमेशा भारतीय पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि को लगता है। इस दिन चंद्रमा दिन के समय सूर्य की रोशनी को पृथ्वी पर पहुंचने नहीं देता और रात के समय चंद्रमा भी दिखाई नहीं देता।
महाभारत के युद्ध के दौरान भी पूर्ण सूर्यग्रहण लगा था। गांडीवधारी अर्जुन के प्राण ग्रहण के चलते ही बचे थे। उधर, सूर्यग्रहण के समय ही पांडव जुए में अपना सर्वस्व हार गए थे। यह भी कहा जाता है कि नंदगांव में बिछड़ने के बाद सूर्यग्रहण के कारण ही राधा और श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र में मिल पाए थे।