यह तो सभी जानते हैं कि बाल्यावस्था में भगवान श्री कृष्ण ग्वाल वालों के साथ गाय चराने जंगल में जाया करते थे परंतु क्या आप जानते हैं कि गोकुल के कन्हैया जंगल में कहां-कहां तक पहुंच जाया करते थे। भगवान श्री कृष्ण के भक्तों के लिए यह एक रोचक जानकारी है कि गायों का पीछा करते हुए लड्डू गोपाल गोकुल से चंबल तक आ जाया करते थे।
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि द्वापर युग में ब्रज से चंबल तक जंगल हुआ करते थे। ग्वाल वालों को गाय लेकर जाने के लिए जंगल में सीमाएं निर्धारित की गई थी। जंगल में गाय को चराने की सीमाएं जिसे गोहद कहा गया। वर्तमान में यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के भिंड जिले में आता है। आज भी इस क्षेत्र को गोहद ही कहा जाता है।
वर्तमान समय में गोहद विकसित कस्बा है। ये जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है। यहां आने जाने के लिए सड़क मार्ग व रेलवे मार्ग सुलभ है। ये कस्बा भिंड जिला मुख्यालय की अपेक्षा ग्वालियर के ज्यादा नजदीक है।
इस चित्र में भगवान श्रीकृष्ण की विशेष भक्ति देखी जाती है, इसलिए कालांतर में इस कस्बे में भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी के भव्य मंदिर बनवाए गए। यहां के मंदिरों में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा भी विशेष धूमधाम से मनाई जाती है। इसके अलावा यहां की गलियां संकरी हैं। ऐसा लगता है जैसे आप मथुरा की गलियों में घूम रहे हैं।