मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रमुख पर्यटक स्थलों में अरेरा पहाड़ी पर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) का नाम जरूर लिया जाता है। सभी जानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण बिड़ला परिवार द्वारा करवाया गया परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री की एक शर्त के कारण हुआ था।
बिड़ला परिवार भारत का एक प्रमुख औद्योगिक घराना है। अब से करीब 62 साल पहले सन 1960 में जब बिरला परिवार ने मध्यप्रदेश में अपने उद्योग के लिए सरकार से जमीन की मांग की थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ कैलाश नाथ काटजू ने यह शर्त रखी थी कि भोपाल की अरेरा पहाड़ी पर भव्य लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण करवाएंगे। बिड़ला परिवार ने इस सर्च को सहर्ष स्वीकार किया और मात्र 4 वर्ष में सन 1964 को यह मंदिर भोपाल को समर्पित कर दिया गया।
उन दिनों अरेरा पहाड़ी एक दुर्गम क्षेत्र हुआ करता था। अपराधिक गतिविधियों एवं जहरीले जीवों की मौजूदगी के कारण लोग यहां पर जाने से डरते थे परंतु लक्ष्मी नारायण मंदिर की स्थापना के बाद यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना प्रारंभ हुआ और आज इस क्षेत्र की जमीन भोपाल में सबसे महंगी जमीन है।
कितनी आनंददायक बात है। उन दिनों भी मुख्यमंत्री, उद्योग पतियों को जमीन आवंटित करने के बदले कुछ उपहार मांगा करते थे परंतु वह उपहार लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसे होते थे। जिसके कारण एक दुर्गम क्षेत्र का विकास हो जाता है। उद्योग पतियों की वचनबद्धता भी प्रशंसा के योग्य है। 62 साल बाद भी मंदिर का संचालन उसी परंपरा के साथ हो रहा है और आज यह लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है।