शरद पूर्णिमा पर खीर में अमृत- केवल मान्यता या साइंस, पढ़िए- Amazing facts in Hindi

Bhopal Samachar
कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात खीर में अमृत की बारिश होती है। इसलिए दुनिया भर में हिंदू धर्म के लोग खीर बनाते हैं और चंद्रोदय के समय उसे खुले आसमान के नीचे रख दिया जाता है, फिर मध्यरात्रि के बाद उसका सेवन किया जाता है। इस अवसर पर मंदिरों में बड़े आयोजन किए जाते हैं। सवाल यह है कि क्या सचमुच शरद पूर्णिमा की रात कुछ अलग होता है। खीर में अमृत वाली बात केवल एक मान्यता है या फिर इसके पीछे कोई साइंस भी है। आइए समझने की कोशिश करते हैं:- 

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा में क्या खास होता है

अंतरिक्ष का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। वैसे तो चंद्रमा साल भर पृथ्वी को प्रभावित करता है परंतु शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा सबसे तेज हवाओं और ऊर्जावान होता है। इस रात चंद्रमा की शीतलता और पोषक शक्ति सबसे ज्यादा होती है। 

शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की विशेषता

श्रीमद्भागवत गीता में चंद्रमा को औषधि का देवता बताया गया है। इस दिन चावल और दूध से बनी हुई खीर को चांदी के बर्तन में चंद्रमा के सीधे संपर्क में रखने का प्रयास किया जाता है। चांदी धातु खाद्य पदार्थ में से विषाणु को दूर करती है एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। दूध में लैक्टिक अम्ल होता है जो चंद्रमा की किरणों से शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया काफी तेजी से होती है। इसके कारण पुनर्योवन शक्ति में वृद्धि होती है। 

कुल मिलाकर दूध और चावल के कारण शरीर पर बढ़ती हुई आयु का प्रभाव कम होता है और चांदी के बर्तन के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इन दोनों गुणों को मिला देने के कारण ही शरद पूर्णिमा की रात में चांदी के बर्तन में चावल और दूध की खीर को अमृत कहा जाता है।

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