मध्य प्रदेश के आधे से ज्यादा नागरिक आंध्र प्रदेश के बारे में नहीं जानते होंगे और विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश के 99% से अधिक लोग तेलुगु पोट्टी श्री रामलल्लू को बिल्कुल नहीं जानते होंगे परंतु यदि नया मध्य प्रदेश आज अस्तित्व में है तो इन्हीं के कारण है। अन्यथा भोपाल, इंदौर और ग्वालियर एवं इनके आसपास के लगभग 35 जिले मध्यप्रदेश का हिस्सा नहीं होते।
आजादी से पहले इस क्षेत्र का नाम था- सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार
सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बेरार, यह नाम अंग्रेजों ने दिया था। ऐसी रियासतें जिन पर मराठों किया मुगलों ने कब्जा कर दिया था और फिर अंग्रेजों ने उनसे छीन लिया। इन सभी को मिलाकर एक प्रांत बनाया गया जिसका नाम सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बेरार रखा गया। आजादी के बाद किसी क्षेत्र को मध्य भारत प्रांत कहा गया। इसका नक्शा, वर्तमान मध्यप्रदेश से बिल्कुल अलग था। नक्शे के हिसाब से देखें तो वर्तमान मध्यप्रदेश में, सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बेरार का बहुत कम हिस्सा रह गया है।
सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बेरार यानी मध्य भारत प्रांत के 22 जिलों के नाम
सागर, जबलपुर, मंडला, होशंगाबाद, निमाड़, बैतूल, छिंदवाड़ा, वर्धा, नागपुर, चांदा, भंडारा, बालाघाट, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, अकोला, अमरावती, बुलढाणा, यवतमाल, बस्तर, रायपुर एवं सरगुजा। वर्तमान मध्यप्रदेश में उपरोक्त में से सिर्फ सागर, जबलपुर, मंडला, होशंगाबाद, निमाड़, बैतूल, छिंदवाड़ और बालाघाट ही मध्यप्रदेश में रह गए हैं। कुछ महाराष्ट्र में चले गए तो कुछ छत्तीसगढ़ का हिस्सा बन गए हैं।
मध्य भारत प्रांत की राजभाषा क्या थी
उपरोक्त 22 जिलों को मिलाकर बनाए गए मध्य भारत राज्य में 49% लोग हिंदी और 29% लोग मराठी भाषा बोलते थे। इसलिए मध्य भारत प्रांत की राजभाषा हिंदी और मराठी निर्धारित की गई थी।
तेलुगु पोट्टी श्री रामलल्लू से मध्य प्रदेश का क्या संबंध
भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को लेकर तेलुगु पोट्टी श्री रामलल्लू आमरण अनशन पर बैठे थे। 52 दिन बाद 15 दिसंबर 1952 को आमरण अनशन पर उनका निधन हो गया। 4 दिन बाद दिनांक 19 दिसंबर 1952 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तेलुगु भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश राज्य के गठन की घोषणा कर दी। इस प्रकार दिनांक 1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश भारत का पहला राज्य बना जिसका गठन भाषा के आधार पर किया गया था।
मध्य भारत प्रांत की राजधानी का नाम
इसी प्रक्रिया में 22 दिसंबर 1953 को प्रधानमंत्री ने 3 सदस्य राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर दिनांक 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन किया गया। इसमें मध्य भारत प्रांत के कुछ हिस्से को शामिल करते हुए कुल 74 देसी रियासतों का क्षेत्रफल शामिल किया गया। मध्य भारत प्रांत की राजधानी नागपुर हुआ करती थी लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को निर्धारित किया गया। यानी यदि श्रीराम लल्लू ना होते तो भारत में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन ही नहीं होता और मध्यप्रदेश कभी अस्तित्व में नहीं आता।
भोपाल के बारे में रोचक जानकारी
चलते चलते हैं एक और मजेदार जानकारी यह है कि जब भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया तब भोपाल एक जिला नहीं बल्कि सीहोर जिले की तहसील हुआ करता था। राजधानी घोषित करने के बाद भोपाल को जिला घोषित किया गया। इस प्रकार भोपाल जिला पुराने मध्य प्रदेश का सबसे नया जिला था।